
मध्य प्रदेश में तबादलों को लेकर सरकारी सेवकों और खासतौर पर के कर्मचारियों के बीच विवाद गहराता जा रहा है। लगभग 3500 कर्मचारी एक जगह से दूसरी जगह तबादले की मांग कर रहे हैं, लेकिन विभागीय अफसर उन्हें लगातार टाल रहे हैं।
तबादलों से किसे राहत, किसे परेशानी?
जहां अन्य शासकीय सेवकों के तबादले नियमित हो रहे हैं, वहीं बिजली कंपनियों के कर्मचारी अपनी मांगों के लिए संघर्षरत हैं। वे लगातार आवेदन (applications) देते आ रहे हैं, लेकिन अफसरों की ओर से वही रटा-रटाया जवाब मिलता है कि “कोई नीति (policy) नहीं है”। इससे कर्मचारी नाखुश और असहाय महसूस कर रहे हैं।
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तबादला नीति…
- तबादला नीति (Transfer Policy): कर्मचारियों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर कार्यस्थल बदलने का नियम।
- गृह जिला (Home District): कर्मचारी का मूल या स्थायी निवास क्षेत्र।
विभागों को मिली छूट, फिर भी प्रगति नहीं
सरकार ने तबादला नीति जारी करते हुए विभागों को यह छूट दी है कि वे अपनी आवश्यकताओं के अनुसार नीति बना सकते हैं और तबादले कर सकते हैं। परन्तु बिजली कंपनियों के अफसर इस छूट का उपयोग नहीं कर रहे हैं और कर्मचारियों की समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रहे।।
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कर्मचारी संघों का विरोध
अजाक्स विद्युत अधिकारी कर्मचारी संघ के प्रांतीय सचिव सत्यशील भीमटे का कहना है कि कई अधिकारी और कर्मचारी 15-20 वर्षों से तबादला चाहते हैं, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही। वहीं मप्र इंटक बिजली आउटसोर्स-संविदा अधिकारी कर्मचारी संघ के सचिव विद्याकांत मिश्रा ने कहा कि सरकार की मंशा अच्छी है, लेकिन अफसर प्रयास नहीं कर रहे।
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कर्मचारियों का अंतिम हथियार हड़ताल
बिजली कर्मचारियों के संगठनों ने सरकार से मांग दोहराई है कि तबादला नीति में कंपनियों के बीच तबादले का विकल्प दिया जाए। यदि उनकी मांग नहीं मानी गई, तो वे एक जून से हड़ताल (strike) करने की चेतावनी दे रहे हैं।
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तबादला नीति का कर्मचारियों पर असर…
- कर्मचारियों का मनोबल गिरना
- कार्य में असंतोष और तनाव
- सेवा के प्रति प्रतिबद्धता में कमी
- संगठनात्मक प्रदर्शन पर प्रतिकूल प्रभाव
हड़ताल की चेतावनी | भोपाल | मध्यप्रदेश | बिजली कंपनी
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