
NCERT ने 2025-26 सत्र के लिए कक्षा 8वीं की पॉलिटिकल साइंस किताब में बदलाव किए हैं। अब छात्रों को मुगलों के शासनकाल के दौरान उनकी क्रूरता और अत्याचार को एक साथ पढ़ाया जाएगा। बाबर, अकबर और औरंगजेब के शासन के अंधेरे पक्ष पर ध्यान दिया जाएगा।
मुगलसें के इतिहसय को किया बैलेंस्ड
नई किताब में मुगलों के इतिहास को एक बैलेंस्ड तरीके से पेश किया गया है। इस किताब में बाबर, अकबर और औरंगजेब के शासनकाल को न केवल उनकी कला, संस्कृति, और बुद्धिमत्ता के रूप में प्रस्तुत किया गया है, बल्कि उनकी क्रूरता, नरसंहार, और धार्मिक हिंसा को भी उजागर किया गया है।
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बाबर की क्रूरता और खोपड़ियों का टावर
नई किताब में बाबर को कविता, वास्तुकला और प्रकृति प्रेमी के रूप में दर्शाया गया है। साथ ही यह भी बताया गया है कि बाबर ने शहरों को लूटा और महिलाओं और बच्चों को गुलाम बनाया। बाबर का सबसे चर्चित कृत्य था “खोपड़ियों का टावर”, जो उसने युद्धों में अपने दुश्मनों की खोपड़ियों से बनवाया था। यह सब बाबर की आत्मकथा “बाबरनामा” से लिया गया है।
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अकबर: नागरिकों के साथ क्रूरता
अकबर के बारे में किताब में दोनों पहलुओं को बताया है। इसकी शुरुआत में उसकी क्रूरता। अकबर ने चित्तौड़ किले पर कब्जा किया था, तब उसकी उम्र 25 साल थी। तब उसने 30,000 नागरिकों का नरसंहार किया और महिलाओं-बच्चों को गुलाम बना लिया।
कुछ समय बाद उसने शांति की दिशा में कदम बढ़ाया। धार्मिक सहिष्णुता को अपनाया। अकबर ने अपने बयानों में स्वीकार किया था कि वह काफिरों के किलों पर कब्जा कर इस्लाम स्थापित करने का प्रयास कर रहे थे।
समझें नई NCERT किताब में क्या- क्या रहेगा शामिलमुगल का इतिहास: NCERT ने मुगलों के इतिहास को अब संतुलित रूप में प्रस्तुत किया है। किताब में बाबर, अकबर और औरंगजेब के शासनकाल की कला, संस्कृति और क्रूरता दोनों ही दर्शाई गई हैं। बाबर की क्रूरता: बाबर को एक कवि, कला प्रेमी और प्रकृति प्रेमी के रूप में दर्शाया गया है। जबकि इसमें उसकी क्रूरता को भी उजागर किया गया है। उसने युद्धों में अपने दुश्मनों की खोपड़ियों से एक “खोपड़ियों का टावर” बनवाया था, जो उसकी बर्बरता का प्रतीक था। अकबर की क्रूरता: अकबर की शुरुआत क्रूरता से हुई थी, जैसे चित्तौड़ किले पर कब्जा करना और 30,000 नागरिकों का नरसंहार। हालांकि, कुछ समय बाद अकबर ने शांति की दिशा में कदम बढ़ाया और धार्मिक सहिष्णुता अपनाई। औरंगजेब की धार्मिक हिंसा: औरंगजेब के शासनकाल में कई मंदिरों और धार्मिक स्थलों को नष्ट किया गया। इनमें बनारस, मथुरा और सोमनाथ के मंदिर हैं। इसके अलावा, उसने सूफी और पारसी समुदायों का उत्पीड़न भी किया। मुगलों के खिलाफ विद्रोह: किताब में यह भी बताया गया है कि मुगलों के खिलाफ विभिन्न समुदायों ने विद्रोह किए थे। इसमें जाट किसानों, भिल, गोंड, संथाल, और कोच जनजातियों के संघर्षों का उल्लेख किया गया है। इन विद्रोहों का उद्देश्य अपनी भूमि और स्वतंत्रता की रक्षा था। |
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औरंगजेब: मंदिरों का विध्वंस और धार्मिक हिंसा
औरंगजेब के बारे में नई किताब में यह बताया गया है कि उसने अपने शासनकाल में कई मंदिरों, जैन मंदिरों, और सिख गुरुद्वारों को नष्ट किया। विशेष रूप से, उसने बनारस, मथुरा और सोमनाथ जैसे प्रमुख मंदिरों को नष्ट किया और सूफी तथा पारसी समुदायों का उत्पीड़न किया।
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मुगलों के खिलाफ उठी आवाजें
नई किताब में यह भी उल्लेख किया गया है कि मुगलों के खिलाफ विभिन्न समुदायों ने विद्रोह किए थे। इन विद्रोहों में जाट किसानों, भिल, गोंड, संथाल और कोच जनजातियों के संघर्षों का उल्लेख है। इन समुदायों ने अपनी जमीन और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया। इसके अलावा, औरंगजेब की सेना के खिलाफ असम के अहोम समुदाय के प्रतिरोध को भी हाइलाइट किया गया है।
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