1.21 करोड़ के घोटाले में CBI कोर्ट ने डाकघर के तीन अधिकारियों को भेजा जेल

मध्य प्रदेश में डाक विभाग से जुड़े एक बड़े भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई कोर्ट ने कड़ा फैसला सुनाते हुए तीन डाक अधिकारियों को जेल भेज दिया है। अधिकारियों की इस हेराफेरी से सरकारी खजाने को 1.21 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ।

अदालत ने सुनवाई के बाद दोषियों को कठोर कारावास की सजा सुनाते हुए यह संदेश दिया है कि जनता की गाढ़ी कमाई से खिलवाड़ करने वालों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।

बीना उप डाकघर से जुड़ा मामला

यह पूरा मामला सागर जिले के बीना एलएसजी उप डाकघर से जुड़ा है। यहां के तत्कालीन उप डाकपाल विशाल कुमार अहिरवार को अदालत ने पांच वर्ष का कठोर कारावास और 39 हजार रुपये का जुर्माना सुनाया है।

यहां आपको बता दें कि इस आरोपी को डाकघर में गबन से जुड़े एक मामले में अप्रैल माह में भी 9 साल की सजा सुनाई जा चुकी है। तो इस तरह दोनों सजा एक साथ काटने पर विशाल कुमार को 9 साल तक जेल में रहना होगा।

वहीं, उसके सहयोगी हेमंत सिंह और रानू नामदेव, जो उसी शाखा में उप डाकपाल के पद पर कार्यरत थे, को चार-चार साल का कठोर कारावास और सात-सात हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है।

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बचत खातों में हेराफेरी कर किया गबन

सीबीआई जांच में खुलासा हुआ कि जनवरी 2020 से जुलाई 2021 के बीच आरोपी अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए कई डाक बचत खातों में हेराफेरी की। न केवल जाली पासबुक जारी की गईं, बल्कि खातों के लेनदेन में भी धोखाधड़ी कर सरकारी धन का गबन किया गया। इस गड़बड़ी के चलते सरकारी खजाने से 1 करोड़ 21 लाख 82 हजार 921 रूपये का गबन कर दिया था।

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CBI कोर्ट में साबित हुए आरोप

डाकघर घोटाला मामले की जांच सीबीआई ने 17 नवंबर 2022 को शुरू की थी। जांच के बाद 29 दिसंबर 2023 को जबलपुर स्थित विशेष सीबीआई न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया गया। इसके बाद मामले में विस्तृत सुनवाई हुई।

कोर्ट के सामने यह तथ्य आए कि आरोपी उप डाकपाल अपने साथियों के साथ मिलकर ना केवल फर्जी पासबुक जारी करता था बल्कि उन फर्जी पासबुक को के जरिए डाकघर के अन्य खातों से रकम भी निकाल लेता था।

इन सभी आरोपियों को जलसा जी के साथ ही कूट रचित दस्तावेज बनाने का भी दोषी पाया गया और अदालत ने तीनों आरोपियों को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम सहित अन्य धाराओं में दोषी करार देते हुए जेल की सजा सुनाई है।

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