और वे बताते हैं कि – पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी ने कहा था—समाज का कोई भी वर्ग पराया नहीं है, सबमें एकात्मता का भाव ही राष्ट्र को शक्तिशाली बनाता है —
सोमवार को आदिवासी परिवार के घर पहुंचे मंत्रीजी सादगीपूर्ण भोजन कर दी एकात्म मानवता की मिसाल

प्रदीप धाकड़/कमल याज्ञवल्क्य बरेली ( रायसेन)।
मध्यप्रदेश में अपनी विशिष्ट कार्यशैली के लिए विशेष स्थान रखने वाले मंत्री- राजर्षि नरेन्द्र शिवाजी पटेल इसलिए राजर्षि हैं, क्योंकि वे समदर्शी हैं और वे पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी कहे शब्दों को आत्मसात करते हैं। वे बताते हैं कि पंडित जी ने कहा था कि – समाज का कोई भी वर्ग पराया नहीं है, सबमें एकात्मता का भाव ही राष्ट्र को शक्तिशाली बनाता है। इसी भाव को लेकर समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति तक आत्मीयता और सम्मान का संदेश देने के उद्देश्य से मंत्री – राजर्षि नरेन्द्र शिवाजी पटेल सोमवार को उदयपुरा विधानसभा क्षेत्र के ग्राम पिपरिया पुंआरिया के अनुसूचित जाति के संतोष परोचे के घर पहुंचकर भोजन किया।
मंत्री-राजर्षि नरेन्द्र शिवाजी पटेल ने सामाजिक समरसता का दिया संदेश
हमने गांव के कई लोगों से बात की तो वे इसे मंत्री जी के अनुसूचित जाति के परिवार में भोजन करने को सामाजिक समरसता का व्यावहारिक संदेश बता रहे थे। अन्य लोगों का कहना था कि वे विधानसभा क्षेत्र के लोगों को परिजन कहते हैं। एकबार फिर उन्होंने दिखा दिया कि मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल भौतिक विकास के साथ ही वंचित वर्ग के सामाजिक विकास की भी उतनी ही चिंता करते हैं।
हुआ था तिरस्कार, मंत्री जी ने दिया सम्मान
कुछ गांव वालों ने एक घटना का भी उल्लेख किया था। बताया गया कि समाज को जोड़ने के लिए काम करने वाले कुछ लोगों ने संतोष परोचे के यहां श्राद्ध पर भोजन किया था। इससे हिंदू समाज में फूट डालने वाले लोगों ने संगठित होकर उन लोगों का तिरस्कार करते हुए उन पर गंगाजी नहाने सहित कई शर्तें लादी थीं। मंत्री जी का यह कदम ऐसे तत्वों को करारा जबाब भी माना जा रहा है।
सोमवार को मंत्री जी ने फेसबुक यह लिखा –
स्वयंसेवक संघ के संस्कारों ने मुझे समरसता के भाव को आत्मसात करना सिखाया और मैं संतोष जी घर पहुंच गया
बाल्यकाल से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्कारों ने मुझे समरसता के भाव को आत्मसात करना सिखाया है। आज जब मैं जनप्रतिनिधि हूँ, तो मेरे लिए यह सबसे बड़ा दायित्व और सौभाग्य है कि समाज में समरसता के इस भाव को और गहराई तक पहुँचाने के लिए प्रेरित कर सकूँ। श्रद्धेय पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी ने कहा था कि ‘अंतिम पंक्ति के अंतिम व्यक्ति की सबसे पहले चिंता करनी है।’ इसी भावना को आत्मसात करते हुए आज मैंने पिपरिया पुंआरिया (छातेर) में अनुसूचित जाति के भाई संतोष परोचे जी के घर पर भोजन किया। संतोष जी सहित उनके परिवार की आत्मीयता और स्नेह से भरे स्वागत ने मन को गहराई तक छू लिया। कुछ दिन पहले यहां पर लोगों ने भोजन किया था, उनके विरुद्ध सामाजिक हिष्कार के लिए असामाजिक तरीके से पंचायत करने की जानकारी मिली थी। मुझे इस घटनाक्रम से बहुत तकलीफ़ हुई, मन आहत हुआ और मैंने स्वयं तय किया कि संतोष जी के घर पहुंचकर भोजन करूंगा।
साथियों, हमें इस बात का स्मरण रहना चाहिए कि जब हम भेदभाव भुलाकर एक परिवार की तरह जुड़ते हैं, तो समाज की सबसे बड़ी ताकत प्रकट होती है।आइए, हम सब मिलकर समाज में समरसता, आत्मीयता और अंत्योदय की भावना को सशक्त बनाएं साथ ही आगे बढ़ें मजबूत समाज और विकसित भारत की ओर….
एकात्म मानववाद को जीने का प्रयास कर रहा हूँ
अपने परिजन, अपना घर
मैं अपने विधानसभा के लोगों को अपना परिजन मानता हूं। परिजनों का घर मेरा घर है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी पर मैने पुस्तक भी लिखी है और उनके एकात्म मानववाद को जीने का प्रयास करता रहा हूं। अन्य आमंत्रण भी मैने सूचीबद्ध कर लिए हैं। इनके घर भी भोजन करने का प्रयास करूंगा।— नरेंद्र शिवाजी पटेल
मंत्री मप्र शासन, विधायक उदयपुरा
…………………………..मंत्री जी ने हमारी पीढ़ियों को ऋणी कर दिया
क्या वास्तव में ऐसा हुआ
मेरे परिवार के साथ ही हमारी संपूर्ण जाति और क्षेत्र के लिए आज का दिन यादगार बन गया है। वह हुआ, जिसका सपना भी नहीं देखा जा सकता था। लोग फोन कर—करके पूछ रहे हैं कि क्या वास्तव में ऐसा हुआ है। मंत्री जी ने हमारी पीढ़ियों को ऋणी कर दिया।— संतोष परोचे
पिपरिया—पुंआरिया














