रविवार को पितृ मोक्ष अमावस्या पर होगा तर्पण व पितृ विसर्जन
सिटी बीट न्यूज नेटवर्क बरेली ( रायसेन )।
रविवार 21 सितम्बर को सर्व पितृ अमावस्या (पितृ मोक्ष अमावस्या) के पावन अवसर पर सोलह श्राद्ध पूरे हो जाएंगे। इसी के साथ पितृ विसर्जन का अनुष्ठान भी सम्पन्न होगा। भाद्रपद पूर्णिमा से प्रारंभ हुए श्राद्ध पक्ष का समापन अमावस्या तिथि पर होता है। 16 दिनों तक श्रृद्धा सहित पितरों की सेवा और तर्पण का यह पर्व पूर्ण हो जाएगा।
सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या का है महत्व, ज्ञात अज्ञात तिथि के होतें हैं श्राद्ध
धार्मिक मान्यता है कि अमावस्या की तिथि को पितरों की आत्मा के मोक्ष के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिण्डदान का विशेष महत्व है। जो लोग पितरों की पुण्य तिथि अनुसार श्राद्ध नहीं कर पाए, या जिन्हें अपने पितरों की तिथि का पता नहीं रहता वे पितृ मोक्ष अमावस्या पर विधि-विधान से तर्पण कर समस्त पितरों को संतुष्ट कर सकते हैं। और उनकी कृपा प्राप्त कर सकतें हैं इस प्रकार अमावस्या पर ज्ञात अज्ञात पितरों का तर्पण और पिण्ड दान हो जाता है।
मां नर्मदा, घोघरा,बारना,इक्यावन नदी सहित तालाबों में भी होंगे तर्पण — कुश विसर्जन
बरेली के पास मां नर्मदा तट,घोघरा नदी, बारना नदी इक्यावन नदी और आसपास के गांवों के सरोवरों पर रविवार सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ जुटने की संभावना है। यहां श्रद्धालु स्नान-दान, तर्पण और पिंडदान कर अपने पितरों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे तथा कुश विसर्जन भी करेंगे इसी के साथ घरों में परंपरागत रूप से होम लगाकर श्रृद्धा सहित पितरों को विदाई देंगे और उनकी कृपा की प्रार्थना करेंगे।
पितृ प्रसन्न होकर अपने वंशजों को देते हैं आशीर्वाद
लगातार तर्पण करा रहे श्री राम जानकी मंदिर के पुजारी पं. सुजय पारासर ने बताया कि “पितृ मोक्ष अमावस्या पर तर्पण, पिंडदान और ब्राह्मण भोजन कराने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है। पितर प्रसन्न होकर अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं और परिवार पर सुख-समृद्धि की कृपा होती है। इस दिन किया गया श्राद्ध समस्त पितरों तक पहुंचता है और पितृ दोष का शमन होता है। विद्वान पंडितों ने यह भी बताया कि अमावस्या पर विधिवत विसर्जन के साथ पितरों को विदा कर परिवार नए कार्यों और शुभारंभ के लिए तैयार होता है। इस अवसर पर लोग ब्राह्मणों को भोजन कराकर, दान देकर और जीवों को अन्न अर्पित कर पुण्य अर्जित करते हैं। इस प्रकार रविवार पितृमोक्ष अमावस्या को बरेली सहित पूरे क्षेत्र में श्रद्धालु अपने पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष की कामना हेतु श्रद्धापूर्वक अनुष्ठान करेंगे। तिल और कुश के साथ श्रृद्धा से जो कुछ पितरों का अर्पण किया जाता है वह अमृत के समान होता है जिससे वह संतुष्ट होकर आशीर्वाद दोतें है।












