
MP News : दतिया के माध्यमिक विद्यालय की छात्राएं पिछले डेढ़ माह से स्कूल नहीं जा रही हैं। उनका मन टूट चुका है, उनकी आंखों में डर और असुरक्षा साफ दिखती है। इस समय न सिर्फ ये बच्चियां बल्कि उनके परिवार भी घबराए हुए हैं।
दरअसल, अभिभावकों का आरोप है कि एक शिक्षक कक्षा में इन बच्चियों को कक्षा में घंटों बंद करके रखता है और बाहर की नहीं निकलनते देता है। यह केवल एक शारीरिक बंदीगिरी ही नहीं है, बल्कि उन मासूम बच्चियों की मानसिकता और आत्मविश्वास को भी तोड़ने का प्रयास है। जब इन बच्चों से पूछा गया कि ये सब क्या हो रहा है, तो उनकी आंखों में आंसू थे और आवाज में डर। उन्होंने बताया कि शिक्षक उनके साथ अनुचित और अपमानजनक व्यवहार करते हैं।
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सवाल तो ये उठता है…?
-इन बच्चियों की मासूमियत, जो कभी जीवन के हर रंग से भरपूर थी, अब केवल डर और गहरी चुप्पी में बदल गई है। क्या यही वो दुनिया है, जिसमें हम इन मासूमों को जीने देना चाहते हैं? क्या किसी भी बच्चे का हक नहीं है कि वह सुरक्षित और प्यार भरे माहौल में अपनी पढ़ाई पूरी करे?
-यह केवल एक घटना नहीं, बल्कि समाज के लिए एक गंभीर सवाल है। हम इन बच्चों को क्या सिखा रहे हैं? क्या हमारा समाज बच्चों की सुरक्षा और उनकी मासूमियत को प्राथमिकता देता है? हमें हर कदम पर यह याद रखना होगा कि हमें इन्हें न सिर्फ शिक्षा देनी है, बल्कि उन्हें सुरक्षित, खुश और आत्मविश्वासी बनाना भी हमारी जिम्मेदारी है।
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ये है पूरा मामला
ग्राम चक रामसागर स्थित माध्यमिक विद्यालय में छात्राएं पिछले लगभग डेढ़ माह से स्कूल नहीं जा रही हैं। स्थानीय छात्रों और उनके अभिभावकों का आरोप है कि एक शिक्षक छात्राओं को कक्षा में बंद कर घंटों तक बाहर नहीं निकलने देते और जब हम अभिभावकों ने बच्चियों से इस व्यवहार के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि शिक्षक हमारे साथ गंदी हरकतें करते हैं और इसी डर से छात्राएं किसी को ये बात नहीं बता पा रही थी क्योंकि शिक्षक उन्हें नए कपड़े और यहां तक कि नए अंडर गारमेंट्स तक खरीदकर देता था। छात्र-छात्राओं की अनुपस्थिति को लेकर जनशिक्षक ने वरिष्ठ अधिकारियों को इस संबंध में रिपोर्ट भेजी है, ताकि उचित कार्रवाई की जा सके।
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दो-तीन शिक्षक ही नियमित स्कूल आते हैं
ग्राम चक रामसागर में दो शासकीय विद्यालय संचालित हो रहे हैं। गांव के भीतर एक शासकीय प्राथमिक विद्यालय स्थित है, जबकि गांव के बाहरी क्षेत्र में, पहाड़ी के निकट, एक शासकीय माध्यमिक विद्यालय संचालित हो रहा है। माध्यमिक विद्यालय में पांच शिक्षक नियुक्त हैं। कृष्ण गोपाल गुप्ता (प्रधानाध्यापक), मोहम्मद मंजूर खान, बलराम शर्मा, अजय कुमार और जितेंद्र सिंह राजपूत। इनमें से बलराम शर्मा लंबे समय से डीईओ कार्यालय में अटैच हैं, जबकि अन्य शिक्षकों में से भी केवल दो-तीन ही नियमित रूप से विद्यालय में उपस्थित रहते हैं।
चिंताजनक स्थिति
पिछले डेढ़ महीने से स्थिति और अधिक चिंताजनक हो गई है। शिक्षक तो विद्यालय पहुंच रहे हैं, लेकिन बच्चों ने स्कूल जाना लगभग बंद कर दिया है। इस स्थिति की जांच की जा रही है।
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छात्राओं ने कहा:- यहां-वहां हाथ लगाते थे टीचर
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि शिक्षक मोहम्मद मंजूर खान द्वारा छात्राओं के साथ अनुचित व्यवहार किए जाने के कारण बच्चियों ने स्कूल जाना छोड़ दिया है। इसके चलते विद्यालय में विद्यार्थियों की उपस्थिति न के बराबर हो गई है।
्रछात्राओं ने बताया टीचर हमें हाथ लगाते थे और मेकअप का सामान व कपड़़े भी लाते थे और पहाडिय़ों पर भी ले जाया करते थे।
मांगा गया स्पष्टीकरण
दतिया के बीआरसीसी अखिलेश का कहना है, जन शिक्षक द्वारा हमें सौंपे गए प्रतिवेदन के अनुसार, 25 तारीख को किए गए निरीक्षण के दौरान विद्यालय में कोई भी छात्र उपस्थित नहीं था। इस मामले में हमने विद्यालय के प्रधानाध्यापक को पत्र जारी कर घटना और विद्यार्थियों की शून्य उपस्थिति के संबंध में स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने के लिए कहा है।