घर की स्थिति संभालने बच्चों को पढ़ाते थे ट्यूशन, मां की सीख से अफसर बन गए सुरेश कुमार

द तंत्रः हरियाणा के एक छोटे से गांव में, जहां खेतों की हरियाली और मिट्टी की सोंधी खुशबू हवा में घुली रहती थी, 27 सितंबर 1966 को साधारण परिवार में आईएएस अधिकारी सुरेश कुमार का जन्म हुआ। उनके पिता एक किसान, उसूलों के पक्के और मेहनत के पुजारी रहे। 

सूरज उगने से पहले खेतों में पहुंच जाते और देर रात तक परिवार के लिए रोटी का जुगाड़ करते। मां साधारण गृहिणी…अपने बच्चों के लिए बड़े-बड़े सपने बुनती थीं। जहां पिता चाहते थे कि सुरेश बड़े होकर घर की आर्थिक स्थिति संभालें, वहीं मां का दिल कहता था कि उनका बेटा एक दिन परिवार का नाम रोशन करेगा।

सुरेश का बचपन सादगी और अभावों के बीच बीता। गांव का स्कूल, जहां किताबें कम और सपने ज्यादा थे, उनकी पहली पाठशाला बना। घर में पैसे की तंगी थी, लेकिन मां की कहानियां और पिता की मेहनत ने सुरेश को कभी हिम्मत हारने न दी। स्कूल के बाद, जब बाकी बच्चे खेलने में मस्त रहते, सुरेश खेतों में पिता का हाथ बंटाते। रात को, ​झिलमिलाती रोशनी में वो किताबों में खो जाते। मां अक्सर कहतीं, बेटा, पढ़ाई वो सीढ़ी है, जो तुझे आसमान तक ले जाएगी। 

युवावस्था में कदम रखते ही सुरेश ने परिवार की जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठा ली। उन्होंने एलएलबी की पढ़ाई पूरी की, पर डिग्री के बाद भी नौकरी की राह आसान न थी। घर की आर्थिक स्थिति कमजोर थी। तंगी की खाई को पाटने के लिए सुरेश ने बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया। शामें बच्चों को पढ़ाने में बीतने लगीं, लेकिन सुरेश के मन में एक टीस थी, क्या जिंदगी बस इतनी ही है?

मां की सीख ने जीवन को दिया नया मोड़

एक रात, जब चांद की हल्की रोशनी गांव पर छाई थी, सुरेश उदास बैठे थे। ट्यूशन की किताबें बगल में बिखरी थीं और मन में सवालों का तूफान था। तभी मां ने उनके कंधे पर हाथ रखा। उनकी आंखों में विश्वास था और आवाज में गहराई। 

सुरेश, तुम कुछ बड़ा करने के लिए बने हो, उन्होंने कहा। ज़िंदगी के थपेड़ों से डरने वाले नहीं हो तुम। हार मत मानो, बेटा। मां की ये बातें सुरेश के दिल में उतर गईं। उस रात, उनके मन में नया सपना जन्मा, प्रशासनिक सेवाओं में जाकर समाज की सेवा करने का।

कठिन राह, अटल संकल्प

सपना देखना आसान था, लेकिन उसे सच करना कठिन। ट्यूशन पढ़ाने के बाद बची रातें अब किताबों और नोट्स के नाम हो गईं। कई बार थकान हावी होती, लेकिन मां की सीख उनके कानों में गूंजती। साल 2010 में कड़ी मेहनत और लगन का फल मिला। सुरेश ने मध्य प्रदेश राज्य सेवा परीक्षा पास कर ली। गांव में खुशी की लहर दौड़ गई।  

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मैदानी चुनौतियां और IAS की ऊंचाई

SURESH KUMAR IAS 1
Photograph: (the sootr)

 

राज्य सेवा में शामिल होने के बाद सुरेश ने मैदानी पोस्टिंग में कई जगह काम किया। गांव की धूल-मिट्टी, लोगों की समस्याएं और प्रशासन की जटिलताएं, सब कुछ उन्होंने करीब से देखा। हर चुनौती को उन्होंने अवसर में बदला। उनकी मेहनत और ईमानदारी ने उन्हें 2017 में IAS अवॉर्ड दिलाया।  

एक अलग अंदाज का अफसर 

SURESH KUMAR IAS 2
Photograph: (the sootr)

 

/tags/ias-suresh-kumar”>आईएएस सुरेश कुमार का स्वभाव शांत और शालीन है। जहां कई लोग जल्दबाजी में फैसले ले लेते हैं, सुरेश हर पहलू को गहराई से देखते हैं। उनकी कार्यशैली दूसरों से अलग है, योजनाबद्ध, स्पष्ट और निष्पक्ष। उन्होंने अपने क्षेत्र में कई नवाचार किए, खासकर महिला सशक्तिकरण के लिए। सात महिला स्व-सहायता केंद्रों को धान उपार्जन और खरीदी के केंद्र बनाकर उन्होंने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कदम उठाया। 

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जनता के लिए जवाबदेही

SURESH KUMAR IAS 3
Photograph: (the sootr)

 

सुरेश का मानना है कि प्रशासन का असली मकसद जनता की सेवा है। वो समय-समय पर स्वास्थ्य केंद्रों, छात्रावासों, आंगनबाड़ी केंद्रों और राशन दुकानों का औचक निरीक्षण करते हैं। लापरवाही उन्हें बर्दाश्त नहीं। एक बार खाद्यान्न वितरण में गड़बड़ी करने वाले विक्रेता के खिलाफ उन्होंने FIR दर्ज कराई। यहां तक कि नगर पालिका के सीएमओ पर काम में लापरवाही और एक आवेदक को परेशानी के चलते जुर्माना तक लगा दिया। 

कॅरियर एक नजर 

नाम: सुरेश कुमार 
जन्म दिनांक: 27-09-1966
जन्म स्थान: हरियाणा 
एजुकेशन: M.Sc., LLB.
बैच: SCS; 2010 (मध्यप्रदेश)

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पदस्थापना

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Photograph: (the sootr)

 

12 मई 2025 की स्थिति में सुरेश कुमार मध्य प्रदेश में /tags/pnnaa”>पन्ना जिले के /tags/klekttr”>कलेक्टर हैं। इसके पहले वे कई महत्वपूर्ण विभागों में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। वे राजस्व मंडल ग्वालियर भी रहे हैं।

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