2016 बैच के IAS स्वप्निल वानखेड़े बने दतिया कलेक्टर, सूत्र ने उठाया था मुद्दा

दतिया को 17 दिन बाद नया कलेक्टर मिल गया है। 2016 बैच के IAS अफसर स्वप्निल वानखेड़े को दतिया का कलेक्टर नियुक्त किया गया है, जो सतना से ट्रांसफर होकर आए हैं।

राज्य सरकार ने मंगलवार की रात दतिया कलेक्टर के पद पर 2016 बैच के IAS अफसर स्वप्निल वानखेड़े को पदस्थापित किया है। स्वप्निल वानखेड़े इससे पहले सतना में अपर कलेक्टर के रूप में कार्यरत थे। उनकी यह पहली कलेक्टरी है। उनका पदभार संभालने के बाद, दतिया के सीईओ जिला पंचायत, अक्षय कुमार तेम्रवाल, जो कलेक्टर के अतिरिक्त प्रभार में थे, अब इस जिम्मेदारी से मुक्त होंगे।

संदीप माकिन के रिटायरमेंट के बाद खाली हुआ था पद

दतिया कलेक्टर का पद पहले संदीप कुमार माकिन के पास था। वे 31 मई को रिटायर हो गए थे, जिसके बाद से इस पद पर किसी अधिकारी की नियुक्ति नहीं हो पाई थी। इसके चलते, राज्य सरकार ने सीईओ जिला पंचायत दतिया, अक्षय कुमार को दतिया कलेक्टर के पद का अतिरिक्त प्रभार सौंपा था। हालांकि, मुख्यमंत्री की सहमति मिलने के बाद अब इस पद पर स्वप्निल वानखेड़े की नियुक्ति की गई है।

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स्वप्निल वानखेड़े का कार्यकाल और पृष्ठभूमि

स्वप्निल वानखेड़े को इस जिम्मेदारी के मिलने से पहले, वे सतना जिले में अपर कलेक्टर के पद पर कार्यरत थे। उनके पास प्रशासनिक कार्यों का लंबा अनुभव है और यह उनके करियर में पहली बार कलेक्टर के पद पर नियुक्ति है। वे 2016 बैच के IAS अफसर हैं, जो सरकारी प्रशासन के विभिन्न पहलुओं में दक्षता रखते हैं।
स्वप्निल वानखेड़े का प्रशासनिक करियर राज्य के विकास कार्यों और जनहित योजनाओं को गति देने में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। अब दतिया जिले के कलेक्टर के रूप में उनके कार्यभार संभालने के बाद, जिले की प्रगति की दिशा और तेज हो सकती है।

दतिया जिले में स्वप्निल वानखेड़े का कार्यभार संभालना

स्वप्निल वानखेड़े के दतिया कलेक्टर बनने के बाद, जिले में प्रशासनिक कार्यों को नई दिशा मिलेगी। उनकी नियुक्ति के बाद, दतिया जिले के नागरिकों और अधिकारियों को यह उम्मीद है कि वे विकास योजनाओं में तेजी लाएंगे और विभिन्न मुद्दों का समाधान जल्द करेंगे।
स्वप्निल वानखेड़े को यह जिम्मेदारी एक महत्वपूर्ण समय पर मिली है, जब जिले में प्रशासनिक सुधार और विकास कार्यों की आवश्यकता है। उनकी कुशल नेतृत्व क्षमता जिले को और अधिक समृद्ध बना सकती है।

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द सूत्र ने उठाया था प्रमुखता से मुद्दा

मध्यप्रदेश की नौकरशाही इन दिनों किसी अदृश्य संकट से जूझ रही है। हालात ऐसे हैं कि दतिया जिले में 13 दिन से कलेक्टर नहीं है। प्रदेश के नौ जिलों में ADM यानी अपर कलेक्टर जैसे अहम पद खाली पड़े हैं। अफसरशाही की इस खस्ताहाली से सवाल उठने लगे हैं कि क्या मध्यप्रदेश में योग्य अफसरों की कमी हो गई है?

दतिया जिले में 31 मई को कलेक्टर संदीप कुमार माकिन रिटायर हो गए हैं, लेकिन अब तक वहां कोई स्थायी कलेक्टर नहीं बैठाया गया है। जिला पंचायत सीईओ अक्षय तेम्रवाल को प्रभारी कलेक्टर बनाया गया है, लेकिन उनके पास दोहरी जिम्मेदारी है। एक तरफ पंचायत के विकास कार्य और दूसरी ओर जिले की प्रशासनिक मशीनरी। नतीजा यह है कि दतिया में कामकाज गड़बड़ा गया है।

IAS स्वप्निल वानखेड़े | मध्यप्रदेश शासन

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