मंदिर-मजार तक पहुंचने के छोटे रास्ते से ज्यादा जरूरी है अस्पताल की सुरक्षा : हाईकोर्ट

खंडवा जिला अस्पताल परिसर में स्थित मजार और मंदिर तक जाने वाले रास्ते को लेकर दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि मजार और मस्जिद तक रास्ता बनाना अस्पताल की सुरक्षा से बड़ा नहीं हो सकता।

कोर्ट ने बताया कि अस्पताल के एक गेट को बंद किया गया है। इससे मंदिर और मजार तक पहुंच बाधित नहीं होती। लोग दूसरे वैकल्पिक रास्ते से वहां पहुंच सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि “गेट बंद है तो रास्ता बंद है” यह धारणा गलत है।

ये खबर भी पढ़िए…इंदौर में व्यापम के आरोपी इंडेक्स कॉलेज के मालिक सुरेश भदौरिया के घर व ऑफिस पहुंची CBI

पहुंच मार्ग खुलवाने के लिए दायर PIL 

यह जनहित याचिका खंडवा जिला कांग्रेस सेवा दल के अध्यक्ष अयूब लाला ने दाखिल की थी। याचिका में कहा गया कि जिला अस्पताल परिसर में दो धार्मिक स्थल , एक मजार और एक शिव मंदिर स्थित हैं।

दिसंबर 2024 तक अस्पताल के सभी गेट आम जनता के लिए खुले रहते थे, जिससे लोग सीधे इन स्थलों तक पहुंच जाते थे। लेकिन अब केवल एक ही गेट खुला रखा गया है, जिससे आम लोगों को लंबा रास्ता तय कर मंदिर और मजार तक पहुंचना पड़ता है। याचिकाकर्ता ने इसे अनुचित, मनमाना और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताया।

ये खबर भी पढ़िए…एमपी में खुलेगा ऊर्जा थाना : अब बिजली चोरी की तो सीधे होगी FIR, कंपनी की अलग रहेगी पुलिस

अस्पताल के परिसर में है धार्मिक स्थल

एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच ने याचिका खारिज करते हुए सख्त टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि “यदि एक गेट बंद कर दिया गया है, तो इसका मतलब यह नहीं कि रास्ता बंद कर दिया गया है।

धार्मिक स्थल तक पहुंच पूरी तरह बंद नहीं की गई है। अगर आप सच में दर्शन करना चाहते हैं, तो वैकल्पिक रास्ता अपनाइए। आप सिर्फ इसलिए नहीं कह सकते कि छोटा रास्ता बंद है तो पूरा अधिकार ही छिन गया।” इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि यह स्थल अस्पताल की जमीन में स्थित है और अस्पताल को बाध्य नहीं किया जा सकता कि वह अपनी सुरक्षा के लिए किसी गेट को बंद ना करें।

ये खबर भी पढ़िए…पंचायती राज में योजनाओं में सेंधमारी, करोड़ों डकार गए अधिकारी

सुरक्षा वजह से गेट बंद

राज्य सरकार की ओर से पेश सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया कि कोई भी बैरिकेडिंग या स्थायी रोक नहीं लगाई गई है। सिर्फ एक गेट को बंद किया गया है और वह भी सुरक्षा कारणों से। बाकी रास्ते खुले हैं और श्रद्धालु मंदिर और मजार तक आसानी से पहुंच सकते हैं।

 राज्य ने याचिका के एक पैरा का हवाला देते हुए कहा कि खुद याचिकाकर्ता ने स्वीकारा है कि सिर्फ एक गेट बंद किया गया है और वैकल्पिक मार्ग से जनता पहुंच रही है।

ये खबर भी पढ़िए…एमपी में जनप्रतिनिधियों के खिलाफ ग्रामीणों का गुस्सा, किसी का रोका काफिला, किसी को दी चेतावनी

अस्पताल है, धार्मिक स्थल नहीं – PIL खारिज

अदालत ने स्पष्ट किया कि यह जमीन अस्पताल की है और अस्पताल प्रशासन सुरक्षा के लिहाज से उचित कदम उठा सकता है। कोर्ट ने कहा कि

“अस्पताल में कोई भी व्यक्ति इलाज के लिए आए तो वह परिसर में स्थित धार्मिक स्थलों तक जा सकता है। लेकिन अस्पताल को यह बाध्य नहीं किया जा सकता कि वह पूरे परिसर को आम जनता के लिए खुला छोड़ दे।”

कोर्ट ने यह भी कहा कि चूंकि धार्मिक स्थलों तक पहुंच पूरी तरह अवरुद्ध नहीं की गई है और वैकल्पिक रास्ता मौजूद है, इसलिए याचिका पर आगे कोई कार्रवाई की आवश्यकता नहीं है। इसी आधार पर कोर्ट ने जनहित याचिका को खारिज कर दिया।

thesootr links

सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

अगर आपको ये खबर अच्छी लगी हो तो 👉 दूसरे ग्रुप्स, 🤝दोस्तों, परिवारजनों के साथ शेयर करें📢🔃

🤝💬👩‍👦👨‍👩‍👧‍👧👩

 

मध्यप्रदेश | जबलपुर हाईकोर्ट

  • Related Posts

    सीएम हेल्पलाईन शिकायतों को गंभीरता से नहीं लेने पर सीएमएचओ और सिविल सर्जन को नोटिस

    किसानों को मूंग उपार्जन की राशि भुगतान में विलम्ब होने पर उप संचालक कृषि तथा डीएम वेयरहाउस को नोटिस जारी टीएल बैठक में कलेक्टर विश्वकर्मा ने की सीएम हेल्पलाईन और…

    Read more

    जनसुनवाई में कलेक्टर विश्वकर्मा ने नागरिकों की समस्याओं का किया निराकरण

      सिटी बीट न्यूज बरेली रायसेन। कलेक्ट्रेट कार्यालय स्थित सभाकक्ष में प्रति मंगलवार की भांति आयोजित जनसुनवाई में कलेक्टर अरूण कुमार विश्वकर्मा द्वारा नागरिकों की समस्याओं पर सुनवाई करते हुए…

    Read more

    You cannot copy content of this page