
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने जबलपुर शहर की साफ-सफाई और बढ़ती बीमारियों को लेकर गंभीर रुख अपनाया है। कोर्ट ने राज्य सरकार और नगर निगम को चार सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है। रिपोर्ट में यह बताया जाना चाहिए कि बीमारियों को रोकने के लिए अब तक क्या कदम उठाए गए हैं और आगे क्या किया जाएगा।
कचरे के ढेर पर बैठा है जबलपुर
यह आदेश जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया। याचिका में कहा गया कि जबलपुर शहर गंदगी और बदइंतजामी से जूझ रहा है। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि हर चौथा व्यक्ति स्वाइन फ्लू, चिकनगुनिया, मलेरिया, डेंगू और जीका वायरस जैसी बीमारियों से परेशान है। इन बीमारियों का मुख्य कारण बिगड़ी स्वच्छता और गंदे पानी की निकासी है।
सीवेज सिस्टम ठप
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आदित्य संघी ने अदालत में बताया कि जबलपुर की सीवेज व्यवस्था पूरी तरह जाम पड़ी है। उन्होंने कहा कि 17 साल पहले शहर में नई सीवेज लाइन बिछाने की योजना बनी थी, लेकिन आज तक उसे लागू नहीं किया गया। बारिश के दिनों में यह स्थिति और खतरनाक हो जाती है, क्योंकि पानी जमा होने से मच्छरों का प्रकोप तेजी से बढ़ता है।
ये खबर भी पढ़िए…एमपी में नई शिक्षा नीति ने 500 से अधिक स्टूडेंट्स के नामांकन को रोका, उम्र पर विवाद
पहले भी कोर्ट दे चुका है निर्देश
अधिवक्ता संघी ने कोर्ट को बताया कि 27 अक्टूबर 2021 को भी हाईकोर्ट ने नगर निगम को बीमारियों से निपटने के लिए उठाए गए कदमों पर हलफनामा दाखिल करने को कहा था। जवाब में सरकार की ओर से बताया गया कि जनवरी 2024 में दो रिपोर्टें दाखिल की गई थीं जो एक 600 पन्नों की थी, जिसमें दवाओं के छिड़काव और फॉगिंग के लिए ठेकेदारों को दिए गए कामों की जानकारी थी।
ये खबर भी पढ़िए…एमपी में IAS अफसरों के तबादले पर PCC चीफ जीतू पटवारी ने बोला सरकार पर हमला
कोर्ट ने निगम को दिए निर्देश
कोर्ट ने सवाल उठाया कि जनवरी 2024 की रिपोर्ट के बाद वर्तमान मानसून की स्थिति क्या है? एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ ने निर्देश दिया कि चार हफ्तों में नगर निगम और राज्य सरकार को नई रिपोर्ट दाखिल करनी होगी। रिपोर्ट में अल्पकालिक और दीर्घकालिक समाधान स्पष्ट रूप से बताए जाएं।
ये खबर भी पढ़िए…एमपी बोर्ड: दूसरी परीक्षा में इन गलतियों के कारण स्टूडेंट्स को मिलेंगे इतने बोनस अंक
मानसून में फॉगिंग जरूरी
कोर्ट ने कहा कि मानसून में डेंगू जैसी बीमारियां तेजी से फैलती हैं। नगर निगम को तत्काल फॉगिंग और अन्य दवाओं का छिड़काव करना होगा। कोर्ट ने यह भी कहा, “नगर निगम को यह सुनिश्चित करना होगा कि डेंगू और अन्य बीमारियों की शुरुआत रोकी जाए। इसके लिए तुरंत जरूरी कदम उठाए जाएं।”
सिर्फ VIP इलाकों में होती है फॉगिंग
हाईकोर्ट के सामने एक और जनहित याचिका लंबित है, जो 2024 में विजय बजाज ने दायर की थी। याचिका में डेंगू के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई गई थी। याचिका के अनुसार, 2020 में डेंगू के 806 मामले थे, जबकि 2021 में यह आंकड़ा 15,592 तक पहुंच गया।
याचिका में आरोप लगाया गया कि फॉगिंग मशीनों का उपयोग केवल वीआईपी इलाकों तक सीमित है। आम जनता की बस्तियों में न तो फॉगिंग होती है, न ही बीमारियों की रोकथाम के उपाय किए जाते हैं। यह नागरिकों के अनुच्छेद 21 के तहत सुरक्षित और स्वच्छ वातावरण के अधिकार का उल्लंघन है।
thesootr links
अगर आपको ये खबर अच्छी लगी हो तो 👉 दूसरे ग्रुप्स, 🤝दोस्तों, परिवारजनों के साथ शेयर करें
📢🔃 🤝💬👩👦👨👩👧👧
कचरा | नगर निगम जबलपुर