सतना के सरकारी अस्पताल में गर्भवती को कहा- मर चुका है बच्चा, प्राइवेट हॉस्पिटल में गूंजी किलकारियां

MP NEWS: मध्य प्रदेश के सतना जिले के सरदार वल्लभभाई पटेल जिला चिकित्सालय में एक हैरान करने वाली घटना घटी। डॉक्टरों ने एक गर्भवती महिला को गर्भ में पल रहे बच्चे को मृत बताया। महिला को निजी अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे पूरी तरह स्वस्थ बताया। महिला ने वहां एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया। इस घटना ने पब्लिक हेल्थ केयर सिस्टम पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

क्या हुआ था?

दरअसल गर्भवती महिला दुर्गा द्विवेदी को सतना जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जांच के बाद, डॉक्टरों ने गर्भ में पल रहे बच्चे को मृत घोषित कर दिया। डॉक्टरों ने महिला और उनके पति से कहा कि बच्चे की स्थिति ठीक नहीं है, और अबॉर्शन करवा लें। इतना ही नहीं, डॉक्टर ने अबॉर्शन फॉर्म पर हस्ताक्षर करने के लिए दुर्गा के पति को भी कहा।

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3 प्वांइट्स में समझें पूरी खबर

👉 मध्य प्रदेश के सतना जिले के सरकारी अस्पताल में एक गर्भवती महिला को डॉक्टरों ने गर्भ में पल रहे बच्चे को मृत बताया और अबॉर्शन की सलाह दी।

👉 महिला को निजी अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने जांच की और पाया कि बच्चा पूरी तरह स्वस्थ है। वहां महिला ने स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया।

👉 परिवार का विरोध: दुर्गा के पति राहुल द्विवेदी और परिवार ने डॉक्टरों की गलती पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की और अस्पताल प्रशासन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।

निजी अस्पताल में हुआ स्वस्थ बच्चा

महिला के पति ने डॉक्टर की बात नहीं माना और निजी अस्पताल ले गया। वहां डॉक्टरों ने जांच की और पाया कि बच्चा पूरी तरह स्वस्थ है। इसके बाद, दुर्गा ने सुरक्षित डिलीवरी की और एक स्वस्थ लड़के को जन्म दिया। इस घटना ने एक बार फिर सरकारी अस्पतालों की लापरवाही को उजागर किया है।

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परिवार की प्रतिक्रिया

दुर्गा के पति राहुल द्विवेदी और उनके परिवार ने इस गंभीर लापरवाही पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा, “अगर हम सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों की बात मान लेते, तो आज अपने बच्चे की किलकारी नहीं सुन पाते। परिवार ने संबंधित डॉक्टरों और अस्पताल प्रशासन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।

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प्रशासनिक कार्रवाई

इस घटना के बाद, सरकारी अस्पताल के जिम्मेदार डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। इस मामले ने स्वास्थ्य सेवा की गुणवत्ता और सार्वजनिक अस्पतालों के कामकाज पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। 

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