
मृत्यु के बाद जीवन का उपहार देना केवल दान नहीं, अमरता है। सीएम मोहन यादव के इन शब्दों को हकीकत में बदलते हुए जबलपुर शहर ने एक ऐतिहासिक पल देखा। जवाहरगंज खोवा मंडी निवासी आनंद मोहन वर्मा के पार्थिव शरीर को नेताजी सुभाष चंद्र बोस चिकित्सा महाविद्यालय में पूरे सम्मान के साथ गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। यह सम्मान मध्यप्रदेश सरकार की नई नीति के तहत देहदानियों को श्रद्धांजलि और सम्मान के रूप में दिया गया, और संभवतः जबलपुर में यह पहला मामला है।
गार्ड ऑफ ऑनर
MP सरकार के आदेश के अनुसार दिवंगत आनंद मोहन वर्मा को परिजनों की उपस्थिति में मेडिकल कॉलेज कैंपस में गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। यह पल केवल सम्मान का नहीं, बल्कि समाज में एक नई चेतना जगाने का था । जहां मौत भी जागरूकता के चलते शिक्षा और सेवा का माध्यम बन सकती है। यह सम्मान समारोह न केवल परिजनों की आंखों में गर्व के आंसू ले आया, बल्कि मेडिकल कॉलेज के विद्यार्थियों और उपस्थित लोगों के मन में भी गहरी छाप छोड़ गया।
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मेडिकल यूनिवर्सिटी ने दिया सम्मान
कार्यक्रम का आयोजन नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी विभाग द्वारा किया गया। इस अवसर पर महाविद्यालय के अधिष्ठाता प्रो. डॉ. नवनीत सक्सेना, एनाटॉमी विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. नटवर अग्रवाल, प्रो. डॉ. एस.के. वर्मा, अनंग देव त्रिपाठी, परिजन और विभाग के सभी सदस्य मौजूद रहे। सभी ने श्री वर्मा के अद्वितीय निर्णय को नमन करते हुए कहा कि यह समाज में जागरूकता लाने वाला उदाहरण है।
चिकित्सा शिक्षा के बेहद जरूरी है देहदान
जानकारी के अनुसार साल 2025 में जबलपुर मेडिकल कॉलेज को अब तक कुल 10 पार्थिव शरीर चिकित्सा अध्ययन हेतु प्राप्त हुए हैं। देहदान से छात्र मानव शरीर की संरचना, शारीरिक तंत्रों और सर्जरी जैसे जटिल विषयों को प्रैक्टिकल के जरिए समझ पाते हैं। ऐसे में यह योगदान चिकित्सा शिक्षा की नींव को मजबूत करता है।
4 पॉइंट्स में समझे पूरी स्टोरी👉 मुख्यमंत्री मोहन यादव के शब्दों को साकार करते हुए, जबलपुर ने पहली बार देहदान करने वाले व्यक्ति को गार्ड ऑफ ऑनर दिया। आनंद मोहन वर्मा के पार्थिव शरीर को नेताजी सुभाष चंद्र बोस चिकित्सा महाविद्यालय में पूरे सम्मान के साथ गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। 👉 यह सम्मान मध्यप्रदेश सरकार की नई नीति के तहत देहदानियों को श्रद्धांजलि और सम्मान देने के लिए किया गया। मुख्यमंत्री ने 1 जुलाई 2025 को घोषणा की थी कि देहदान और अंगदान करने वाले नागरिकों को अंतिम संस्कार के समय गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाएगा। 👉 इस सम्मान समारोह ने केवल परिजनों को गर्वित किया, बल्कि मेडिकल कॉलेज के विद्यार्थियों और उपस्थित लोगों में भी गहरी छाप छोड़ी। यह समाज में देहदान के महत्व को समझाने और इसके प्रति जागरूकता फैलाने का एक महत्वपूर्ण कदम है। 👉 जबलपुर में यह पहला उदाहरण है, जब किसी देहदान करने वाले व्यक्ति को राजकीय सम्मान के रूप में गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। यह कदम अन्य लोगों को प्रेरित करेगा और वे भी इस नेक काम की ओर अग्रसर होंगे। |
CM ने की थी गार्ड ऑफ ऑनर देने की घोषणा
1 जुलाई 2025 को मुख्यमंत्री मोहन यादव ने घोषणा की थी कि देहदान या अंगदान करने वाले सभी नागरिकों को अंतिम संस्कार के समय गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाएगा। साथ ही उनके परिजनों को गणतंत्र दिवस या स्वतंत्रता दिवस पर सार्वजनिक मंच से सम्मानित किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा था कि यह निर्णय केवल नीति नहीं, हमारे सामाजिक मूल्यों और संवेदनाओं का विस्तार है। अंग और शरीरदान करने वाले ‘अमर दानवीर’ हैं।”
जबलपुर में पहला मामला
मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद संभवतः यह जबलपुर का पहला मामला है, जिसमें देहदान करने वाले व्यक्ति को राजकीय सम्मान के रूप में गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। इससे प्रेरित होकर अब और भी लोग इस प्रेरणादायक और स्वास्थ्य शिक्षा को मजबूत करने वाले कदम की ओर अग्रसर होंगे।
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देहदान का संकल्प