जजों ने कोर्ट में ही देखी एमपीएनआरसी पोर्टल पर फर्जी मार्कशीट, MPOnline को चेतावनी

मध्यप्रदेश में नर्सिंग और पैरामेडिकल कॉलेजों में गड़बड़ियों का एक बार फिर हाईकोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है। पैरामेडिकल और नर्सिंग कॉलेजों की फर्जी मान्यता और जालसाजी की इस चौंकाने वाली परत को कोर्ट के समक्ष उस वक्त प्रत्यक्ष देखा गया, जब सुनवाई के दौरान खुद जजों ने नर्सिंग काउंसिल (एमपीएनआरसी) के पोर्टल पर फर्जी मार्कशीट को लाइव देखा।

कोर्ट में लाइव खुला एमपीएनआरसी पोर्टल

गुरुवार को हुई सुनवाई में याचिकाकर्ता और लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की ओर से सेंधवा स्थित एक नर्सिंग कॉलेज के फर्जी दस्तावेज कोर्ट में प्रस्तुत किए गए। याचिका में आरोप था कि यह कॉलेज दो बार की सीबीआई जांच में “सूटेबल” पाया गया और उसे 2024-25 की मान्यता मिल गई, जबकि कॉलेज के द्वारा आवेदन में दी गई फैकल्टी की मार्कशीट फर्जी पाई गई।

सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता द्वारा जो मार्कशीट प्रस्तुत की गई है, वह उनके रिकॉर्ड में किसी और नाम से दर्ज है। इस पर कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि आखिर यह फर्जी मार्कशीट किस स्रोत से मिली।

अधिवक्ता विशाल बघेल ने कोर्ट में उसी समय एमपी नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउंसिल (एमपीएनआरसी) की वेबसाइट खोली और जजों को पोर्टल पर उपलब्ध वही मार्कशीट लाइव दिखा दी। इस पर खुद जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस अनुराधा शुक्ला ने पोर्टल पर जाकर मार्कशीट डाउनलोड की और देखा कि याचिकाकर्ता की बात सही है।

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CBI की दो जांचों से भी बच गई फर्जी मार्कशीट

इस मामले में सीबीआई ने पहली बार जो जांच की थी उसमें सीबीआई के कुछ अधिकारी ही रिश्वत लेते हुए पकड़े गए थे जिसके बाद सीबीआई ने दोबारा जांच की लेकिन हैरत की बात या रही कि दोनों जांचों में यह फर्जी मार्कशीट और फैकल्टी पकड़ में नहीं आए।

यह देखकर कोर्ट ने भी आश्चर्य जताया और टिप्पणी की कि जब न्यायालय के समक्ष ही पोर्टल से फर्जी मार्कशीट देखी जा सकती है, तो यह गंभीर सवाल खड़े करता है कि पूरे सिस्टम में किस स्तर तक गड़बड़ियां फैली हैं। कोर्ट ने सीबीआई को आदेश दिया कि जो फाइल उन्होंने कोर्ट में पेश की है, उसकी एक प्रति याचिकाकर्ता को भी सौंपी जाए ताकि मामले की पारदर्शिता बनी रहे।

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एमपी ऑनलाइन को चेतावनी- नहीं करें छेड़छाड़

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने MPOnline को विशेष निर्देश दिए हैं कि एमपी नर्सिंग काउंसिल के किसी भी ऑनलाइन डेटा से कोई छेड़छाड़ नहीं की जाए। अगर आदेश का उल्लंघन होता है, तो भारतीय दंड संहिता के तहत मामला दर्ज कराया जाएगा। इस निर्देश से स्पष्ट है कि कोर्ट इस पूरे मामले को अब डिजिटल सबूतों के आधार पर गंभीरता से देख रहा है।

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सोमवार को क्या खुलेगा नया राज?

हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई सोमवार को तय की है। यह देखना दिलचस्प होगा कि CBI अपनी अगली रिपोर्ट में क्या नया खुलासा करती है, और क्या राज्य सरकार या नर्सिंग काउंसिल इस पूरे फर्जीवाड़े की जवाबदेही लेती है या नहीं।

बड़ी बात ये है कि यह मामला केवल एक कॉलेज तक सीमित नहीं है। लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन का दावा है कि प्रदेश के कई पैरामेडिकल और नर्सिंग कॉलेजों में इसी तरह की फर्जी दस्तावेजों के आधार पर मान्यता प्राप्त की गई है। यदि यह सच है, तो यह मध्यप्रदेश के नर्सिंग शिक्षा क्षेत्र का सबसे बड़ा घोटाला साबित हो सकता है।

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