हेलमेट, सीट बेल्ट न लगाने और ब्लैक स्पॉट से 368 मौत, सुप्रीम कोर्ट ऑन रोड सेफ्टी कमेटी का खुलासा

जीवन अमूल्य है। इसे बचाने के लिए हेलमेट पहनना, सीट बेल्ट लगाना और यातायात नियमों का पालन आवश्यक है। यह संदेश सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court ) की सड़क सुरक्षा समिति (ऑन रोड सेफ्टी कमेटी ) के अध्यक्ष जस्टिस अभय मनोहर सप्रे ने शुक्रवार को जबलपुर में दी। उन्होंने पत्रकारों से आग्रह किया कि वे जागरूकता से जुड़ी खबरें प्रकाशित करें।

जस्टिस सप्रे ने कहा कि जबलपुर को सड़क सुरक्षा और यातायात सुधार के क्षेत्र में देश में अव्वल बनाना है तो प्रशासन, पुलिस, नगर निगम, परिवहन और मीडिया  सभी को मिलकर गंभीरता, लगन और संवेदनशीलता के साथ काम करना होगा।

बैठक में उन्होंने पत्रकारों को यह निर्देश भी दिया कि उन्हें कैसे और किस तरह की खबरें लिखनी चाहिए। हालांकि, शायद इस समय रिटायर्ड जस्टिस यह भूल गए थे  किस संविधान ने ही अभिव्यक्ति की आजादी दी हुई है जिसके आधार पर मीडिया अपनी अभिव्यक्ति स्वतंत्रता के साथ लिख सकता है।

5 साल में मौत के चौंकाने वाले आंकड़े

जबलपुर जिले में पिछले 5 साल के रिकॉर्ड में एक उलटा रुझान दिखा जिसने सड़क हादसे घटे हैं लेकिन मौतों का आंकड़ा बढ़ गया। 2020 से जून 2025 तक के आंकड़ों के अनुसार हेलमेट नहीं पहनने और तेज रफ्तार के कारण 3,000 मौतें हुई जिसमें ब्लैक स्पॉट पर 2900 मौतें हुई, सीट बेल्ट न लगाने से 183 मौतें हुई। वहीं सबसे हैरान करने वाली बात यह थी कि शराब पीकर ड्राइविंग से सिर्फ 9 मौत रिकॉर्ड में दर्ज हुई है।

इस बैठक में दिए गए आंकड़ों के अनुसार 2025 के पहले 6 महीनों में 1,807 हादसे हुए और 2,097 लोग गंभीर घायल, जिसमें 368 लोगों की मौत हुई। इन दुर्घटनाओं में मृतकों में 20 से 23 साल के युवाओं की संख्या सबसे अधिक रही। कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में हुई इस बैठक में कलेक्टर दीपक सक्सेना, पुलिस अधीक्षक संपत उपाध्याय, नगर निगम आयुक्त प्रीति यादव और विभिन्न विभागों के अधिकारी शामिल हुए।

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जागरूकता के लिए मीडिया की अहम जिम्मेदारी

जस्टिस सप्रे ने सड़क दुर्घटनाओं की दर्दनाक घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि हेलमेट और सीट बेल्ट की अनदेखी, तेज रफ्तार और ब्लैक स्पॉट पर सुधार में देरी ही मौतों का बड़ा कारण है। उन्होंने निर्देश दिया कि शराब पीकर वाहन चलाने वालों पर बिना किसी रियायत के सख्त कार्रवाई हो।

बड़े संस्थान अपने कर्मचारियों के लिए बस या यात्री वाहन उपलब्ध कराएं, ताकि छोटे वाहनों की भीड़ कम हो। स्कूल-कॉलेज के छात्रों के लिए हेलमेट अनिवार्य हो। इसके साथ ही उन्होंने निवेदन किया है कि मीडिया को सड़क सुरक्षा जागरूकता अभियान में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए क्योंकि मीडिया के जरिए ही यह संदेश आम नागरिक असरदार ढंग से पहुंच सकता है।

इस बैठक में जबलपुर शहर के चुनिंदा पत्रकारों को बुलाया गया था और कुछ पत्रकारों के नेम प्लेट लगाकर जगह रिजर्व की गई थी लेकिन अन्य पत्रकारों के लिए कोई जगह रिजर्व नहीं थी जिस पर भी पत्रकारों में भारी गुस्सा था। इस दौरान रिटायर्ड जस्टिस पत्रकारों को यह कहते हुए भी सुने गए की कुछ भी ऐसा नहीं छपेगा जिससे आपको कानूनी कार्यवाही झेलनी पड़े क्योंकि सुप्रीम कोर्ट सबसे ऊपर है।

यहां पत्रकारों का यह मत है की सुप्रीम कोर्ट असलियत में सबसे ऊपर है लेकिन भारत के संविधान ने ही पत्रकारों को अभिव्यक्ति की आजादी दी है और रोड सेफ्टी कमेटी के अध्यक्ष के इस बयान की हर जगह निंदा भी हो रही है।

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47 ब्लैक स्पॉट, तुरंत सुधार के निर्देश

जिले में 47 ब्लैक स्पॉट चिन्हित हैं, जहां 2025 में अब तक 14.67% मौतें हुई हैं। इनको रोकने के लिए सड़क चौड़ीकरण, रंबल स्ट्रिप, साइनेज, रोड मार्किंग, ओवरपास और फोर-लेन अपग्रेडेशन के काम जारी हैं।

जस्टिस सप्रे ने दिए निर्देश

जस्टिस सप्रे ने सभी विभागों को निर्देश देते हुए कहा कि सड़क दुर्घटना के आंकड़े सार्वजनिक करें, ताकि नागरिकों को वास्तविक स्थिति का पता चल सके। शहर और ग्रामीण सड़कों का स्वतंत्र ऑडिट कर दोषियों पर कार्रवाई की जाये। गड्ढों की प्राथमिकता से मरम्मत हो।

दोपहिया, चारपहिया और भारी वाहन चालकों के लाइसेंस और बीमा की जांच की जाए। अतिक्रमण हटाने से पहले वैकल्पिक व्यवस्था लागू करें। निजी कंपनियां और संगठन स्कूल के बच्चों को हेलमेट उपलब्ध कराएं।

सीट बेल्ट, हेलमेट और निर्धारित गति सीमा को सख्ती से लागू करें। नशे में ड्राइविंग, ओवरलोडिंग और चालान राशि की वसूली में लापरवाही न हो। निविदा प्रक्रिया में पारदर्शिता और घटिया सड़क निर्माण करने वाले ठेकेदार ब्लैकलिस्ट किया जाये और सड़क सुरक्षा के लिए समर्पित विभाग गठित हो।

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बचपन से हो जागरूकता की शुरुआत

जस्टिस सप्रे ने अपील करते हुए कहा कि बच्चों को बचपन से ही सड़क सुरक्षा का महत्व सिखाएं। उन्होंने कोविड काल का उदाहरण देकर कहा कि जिस तरह लोग मास्क लगाने को जीवन बचाने का जरिया मानने लगे थे, उसी तरह हेलमेट, सीट बेल्ट और यातायात नियमों को रोजमर्रा की आदत बनाना होगा। मध्यप्रदेश

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