
भोपाल में मानसून से पहले 1,200 से अधिक जर्जर मकानों की पहचान की गई है। नगर निगम ने 700 मकानों को खाली करने का नोटिस जारी किया है। यह कदम दुर्घटनाओं से बचने के लिए उठाया गया है। बावजूद इसके, लोग इन खतरनाक मकानों में रह रहे हैं। नगर निगम अधिकारी टीना यादव ने कहा कि हम स्थिति पर लगातार नजर रख रहे हैं।
नगर निगम की चेतावनी और कानूनी मुद्दे…
नगर निगम के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, उनका मुख्य उद्देश्य बारिश के मौसम में किसी भी प्रकार की दुर्घटना को रोकना है। इसलिए, इन खतरनाक मकानों को पहले से खाली करने का आदेश दिया गया है। लेकिन जमीनी हकीकत कहीं अधिक जटिल है। आइए जानते हैं…
1. कानूनी पेंच
पुराने शहर में किरायेदारी और मालिकाना हक (Landlord-Tenant Disputes) के विवादों के कारण इन जर्जर मकानों का विध्वंस (Demolition) रुक गया है। कई मामलों में मालिक और किरायेदार के बीच मतभेद होते हैं, जिसके कारण कार्रवाई में देरी हो रही है।
2. आर्थिक मजबूरियां
कई परिवार किरायेदार हैं और उनके पास वैकल्पिक आवास के लिए पर्याप्त धन नहीं है। इसके अलावा, इन लोगों के पास नए घरों के लिए कोई आर्थिक साधन नहीं हैं, जिससे वे इन खतरनाक घरों में रहने के लिए मजबूर हो जाते हैं।
3. राजनीतिक हस्तक्षेप
कई जगहों पर जाति और समुदाय विशेष के क्षेत्रों में राजनीतिक हस्तक्षेप (Political Intervention) के कारण कार्रवाई में देरी हो रही है। इससे निगम की योजना पर असर पड़ा है और यह मुद्दा संवेदनशील बन गया है।
4. लापरवाही और अनदेखी
कुछ लोग खतरे की गंभीरता को समझ नहीं पा रहे हैं या जानबूझकर अनदेखी कर रहे हैं। यह लापरवाही उन्हें और उनके परिवार को जानमाल के खतरे में डाल रही है।
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ऐशबाग: त्रासदी की पुनरावृत्ति
ऐशबाग हाउसिंग बोर्ड (Aishbagh Housing Board) क्षेत्र की स्थिति विशेष रूप से चिंताजनक है। यहां वर्षों से नोटिस दिए जा रहे हैं, लेकिन स्थानीय लोग अपनी जिद छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। पिछले साल भी निगम ने निवासियों को खाली करने के लिए बिजली और पानी के कनेक्शन काट दिए थे। बावजूद इसके, कई निवासियों ने अवैध रूप से कनेक्शन फिर से जोड़ लिए और अभी भी जोखिम भरे घरों में रह रहे हैं।
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बीते सालों का काला इतिहास
इस इलाके में पिछले कुछ वर्षों में कई हादसे हो चुके हैं। 2023 में, जहांगीराबाद इलाके में एक पुरानी इमारत का हिस्सा ढह गया था। 2022 में, मंगलवारा क्षेत्र में एक दुकान की छत गिर गई थी। वहीं, 2021 में कई बड़े हादसे हुए थे जिनसे लगभग 30 परिवार प्रभावित हुए थे।
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मृत्यु का घर या मजबूरी का निवास
पुराने भोपाल की कई इमारतें 100 साल से भी ज्यादा पुरानी हैं। ये इमारतें घनी आबादी वाले इलाकों में स्थित हैं, जहां एक मकान ढहने से आसपास की कई इमारतें भी प्रभावित हो सकती हैं। इन घरों में रह रहे परिवारों के लिए ये सिर्फ ईंट-पत्थर का ढांचा नहीं, बल्कि उनकी पुश्तैनी विरासत (Ancestral Heritage) और आखिरी सहारा हैं। यह एक जटिल सामाजिक-कानूनी संघर्ष है, जो जीवन और मृत्यु के बीच झूल रहा है।
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सर्वेक्षण के बाद आगे की कार्रवाई
नगर निगम द्वारा सभी जोनों में जर्जर मकानों का सर्वेक्षण (Survey of Dilapidated Buildings) जारी है। सबसे खतरनाक संरचनाओं को पहले नोटिस जारी किए जा रहे हैं। निगम के अधिकारी टीना यादव ने कहा कि हम स्थिति पर लगातार नजर रख रहे हैं और यदि हालात बिगड़ते हैं, तो आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
भोपाल नगर निगम | ऐशबाग थाना क्षेत्र
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