बिजली कंपनी को भनक तक नहीं, फर्जी जाति प्रमाण पत्र के सहारे 12 साल नौकरी करते रहे दो कर्मचारी

BHOPAL. मध्यप्रदेश में सरकारी नौकरी हासिल करने के लिए एक से बढ़कर एक गड़बड़झाले सामने आ चुके हैं। इनमें से कोई परीक्षा परिणाम के दौरान पकड़ा गया तो किसी का भेद नियुक्ति के दौरान दस्तावेजों के सत्यापन में खुल गया। अब बिजली कंपनी में फर्जीवाड़े के जरिए सालों तक नौकरी करने का मामला सामने आया है।

पूर्व क्षेत्र विद्युत कंपनी में एक लेखा अधिकारी और एक सहायक अभियंता के जाति प्रमाण पत्र संदेहास्पद पाए गए हैं। इन दोनों प्रमाण पत्रों का कोई भी रिकॉर्ड जारीकर्ता अधिकारी के कार्यालय में नहीं मिला है। बिजली कंपनी ने इस जानकारी के बाद दोनों को नोटिस जारी कर विभागीय स्तर पर कार्रवाई शुरू कर दी है।  

दस्तावेज सत्यापन में हुई चूक

विभागों में भर्ती प्रक्रिया की लेटलतीफी और सरकारी नौकरियों के सीमित अवसरों के बीच फर्जीवाड़े के मामले तेजी से बढ़े हैं। भर्ती में चंद पदों पर प्रतिस्पर्धा से बचने के लिए युवा अभ्यर्थी भी साजिश का सहारा लेने से नहीं चूक रहे। नौकरी के लिए हो रहे फर्जीवाड़ों के बीच पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के कर्मचारियों की कारगुजारी उजागर हुई है।

दोनों 12 साल से नौकरी कर रहे हैं। नियुक्ति के दौरान दस्तावेजों परीक्षण में बिजली कंपनी के अधिकारियों से बड़ी चूक हुई और वे फर्जीवाड़ा पकड़ने में नाकाम रहे। उन्हें कंपनी से हर माह तगड़ा वेतन और दूसरी सुविधाएं मिलती रहीं। अब तक दोनों इंजीनियर लाखों रुपए का वेतन ले चुके हैं।  

5 पॉइंट्स में समझें पूरी खबर

👉फर्जी जाति प्रमाण पत्र का खुलासा: मध्य प्रदेश के पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी में दो कर्मचारियों, विनोद सिंह राजपूत (लेखाधिकारी) और अमित केवट (सहायक अभियंता), के जाति प्रमाण पत्र संदेहास्पद पाए गए हैं। इन दोनों कर्मचारियों के जाति प्रमाण पत्रों का कोई रिकॉर्ड संबंधित अधिकारी के कार्यालय में नहीं मिला है।

👉कर्मचारियों की लंबी नौकरी: विनोद सिंह और अमित केवट दोनों 12 साल से नौकरी कर रहे थे। विनोद को 2011 में और अमित को 2012 में नौकरी दी गई थी। नियुक्ति के दौरान दस्तावेजों की सही जांच नहीं की गई, जिसके चलते वे कई सालों तक बिजली कंपनी में कार्यरत रहे और लाखों रुपए का वेतन प्राप्त किया।

👉जाति प्रमाण पत्रों में गड़बड़ी: विनोद के जाति प्रमाण पत्र में अन्य पिछड़ा वर्ग और अमित के प्रमाण पत्र में अनुसूचित जनजाति वर्ग का उल्लेख था। लेकिन जब इन प्रमाण पत्रों का सत्यापन किया गया, तो संबंधित सरकारी कार्यालयों से इनका कोई रिकॉर्ड नहीं मिला। इसका मतलब था कि इन प्रमाण पत्रों में गड़बड़ी हो सकती है।

👉विभागीय जांच और कार्रवाई: बिजली कंपनी ने इन दोनों कर्मचारियों से उनके जाति प्रमाण पत्रों के संबंध में तथ्य प्रस्तुत करने के लिए नोटिस जारी किए हैं। इसके बाद, कंपनी ने जांच शुरू कर दी है। यदि जांच में इन प्रमाण पत्रों को फर्जी पाया गया, तो वेतन व भत्तों की वसूली हो सकती है और उनके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की जा सकती है।

👉संभावित कार्रवाई: कंपनी की मुख्य महाप्रबंधक नीता राठौर ने कहा कि दोनों कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय जांच जारी है। यदि उनके प्रमाण पत्र फर्जी साबित होते हैं, तो निलंबन के साथ-साथ अन्य कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है।

12 साल से कर रहे हैं नौकरी

ग्वालियर अंचल के निवासी विनोद सिंह राजपूत को साल 2011 और जबलपुर के  रहवासी अमित केवट को साल 2012 में नौकरी मिली थी। विनोद लेखाधिकारी के पद पर कार्यरत है जबकि अमित सहायक अभियंता (वितरण) के रूप में पदस्थ था।

विनोद के अन्य पिछड़ा वर्ग के जाति प्रमाण पत्र पर मूल जाति किरार दर्ज है। जिसे एसडीएम ग्वालियर की सील और हस्ताक्षर से जारी किया गया था। जबकि सहायक अभियंता अमित केवट के जाति प्रमाण पत्र पर मूल जाति मांझी दर्ज है जो अनुसूचित जनजाति वर्ग में शामिल है। यह प्रमाण पत्र जबलपुर के तत्कालीन कायपालिक दंडाधिकारी की पदमुद्रा से जारी किया गया था। 

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जहां से जारी हुए वहां नहीं रिकॉर्ड

बिजली कंपनी ने विनोद सिंह के अन्य पिछड़ा वर्ग और अमित केवट के अनुसूचित जनजाति वर्ग के प्रमाण पत्र का सत्यापन कराया गया। इसके लिए विनोद के प्रमाण पत्र को एसडीएम ग्वालियर और अमित के प्रमाण पत्र को एसडीएम कार्यालय जबलपुर भेजा गया था। उनके जाति प्रमाण पत्रों का रिकॉर्ड ही नहीं था।

दायर पंजी में विनोद को अन्य पिछड़ा वर्ग और न ही अमित को अनुसूचित जनजाति वर्ग का प्रमाण पत्र जारी ही नहीं किया गया है। इस जानकारी के बाद अब बिजली कंपनी ने दोनों से प्रमाण पत्रों के संबंध में तथ्य प्रस्तुत करने नोटिस जारी किया है। 

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दोनों पर आगे क्या होगी कार्रवाई  

मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड की मुख्य महाप्रबंधक नीता राठौर का कहना है कि जाति प्रमाण पत्रों के सत्यापन के संबंध में कार्रवाई की जा रही है। दोनों जाति प्रमाण पत्रों का मिलान संबंधित जारीकर्ता कार्यालयों से कराया गया है लेकिन उनका रिकॉर्ड नहीं मिला है। दस्तावेजों के कूट रचित होने के संदेह के चलते सहायक अभियंता अमित केवट को निलंबित कर विभागीय जांच कराई जा रही है।

माना जा रहा है कि बिजली कंपनी की पड़ताल में जाति प्रमाण पत्र फर्जी पाए जाने पर लेखाधिकारी और सहायक अभियंता से वेतन और भत्तों की वसूली हो सकती है। कंपनी द्वारा उनके विरुद्ध आपराधिक कार्रवाई के लिए प्रकरण भी दर्ज कराना तय है। 

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