
मध्यप्रदेश में ओबीसी आरक्षण को लेकर राजनीतिक विवाद फिर तेज हो गया है। कांग्रेस और भाजपा के बीच 27 फीसदी OBC आरक्षण को लेकर मंथन जारी है। इस बीच, परशुराम सेवा संगठन ने इस मामले में सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने का फैसला किया है।
संगठन का कहना है कि 4 मई 2022 को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट द्वारा ओबीसी आरक्षण (OBC RESERVATION ) पर लगाई गई अंतरिम रोक को हटाने के लिए दायर की गई याचिका का वह विरोध करेगा। संगठन की मांग है कि आरक्षण की विसंगतियों को खत्म किया जाए और सभी वर्गों के साथ समान न्याय दिया जाए।
परशुराम सेवा संगठन की प्रमुख मांग
संगठन ने यह स्पष्ट किया है कि उनका उद्देश्य किसी एक वर्ग के आरक्षण का विरोध करना नहीं है। उनका कहना है कि एससी-एसटी, ओबीसी, और ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) को दिए जा रहे आरक्षण में जो अंतर हैं, उन्हें समाप्त किया जाना चाहिए। संगठन ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि इस मुद्दे को प्राथमिकता दी जाए और आरक्षण में समानता लाई जाए।
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OBC आरक्षण और 50% सीमा की चुनौती
सुनील पांडे, परशुराम सेवा संगठन के प्रदेश अध्यक्ष ने मीडिया से बातचीत में आरोप लगाया कि राज्य सरकार ओबीसी आरक्षण को बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने का प्रयास कर रही है, जो सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय की गई 50 प्रतिशत की सीमा का उल्लंघन करता है।
वर्तमान में, अनुसूचित जाति (एससी) को 16%, अनुसूचित जनजाति (एसटी) को 20%, ओबीसी को 14% और ईडब्ल्यूएस को 10% आरक्षण दिया जा रहा है।
पांडे ने कहा कि ईडब्ल्यूएस का आरक्षण 50 प्रतिशत की अधिकतम सीमा में नहीं जोड़ा गया है, जबकि ओबीसी आरक्षण को बढ़ाने के प्रयास से यह सीमा पार हो रही है।
सुनील पांडे का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही स्पष्ट किया है कि 50% से अधिक आरक्षण देने के लिए राज्य सरकार को ठोस डेटा प्रस्तुत करना होगा, जो अब तक नहीं किया गया है।
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सियासी लाभ की होड़ में आरक्षण का उद्देश्य दबा
परशुराम सेवा संगठन का आरोप है कि कांग्रेस और भाजपा ओबीसी आरक्षण के मामले में सियासी लाभ लेने की होड़ में लगी हैं। उनका कहना है कि आरक्षण का उद्देश्य सामाजिक न्याय होना चाहिए, न कि राजनीतिक वोट बैंक साधना।
संगठन ने यह भी स्पष्ट किया है कि वे आरक्षण का विरोध नहीं करते, बल्कि उनका उद्देश्य समान न्याय सुनिश्चित करना है। उनका कहना है कि जब तक सभी वर्गों को समान अधिकार और समान न्याय नहीं मिलता, तब तक संगठन संवैधानिक और सामाजिक स्तर पर आरक्षण का विरोध करता रहेगा।
सुप्रीम कोर्ट में दायर की जाएगी याचिका
संगठन के द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने की प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी। संगठन का कहना है कि यह कदम सामाजिक न्याय और संविधानिक समानता की ओर बढ़ाया गया है।