जीवन का लक्ष्य मोक्षगामी के साथ जगत कल्याण का भी होना चाहिए: ओरछा धाम कृपापात्र अरुण कुमार जी

सत्संग लाभ ईश्वर कृपा से ही संभव: चतुर नारायण जी

 

प्रदीप धाकड़ / कमल याज्ञवल्क्य 
       बरेली (रायसेन)।

बरेली के समीप छींदधाम दादा जी दरबार, में आयोजित एकादशी पर्व पर मानस यात्रा महोत्सव सत्संग, आयोजित किया गया। सत्संग सभा में “रामकिंकर भारत भूषण” पूर्व जिला न्यायाधीश अरुण कुमार द्वारा स्वरचित भजन जय जय हो ओरछाधीश, जय हो राम राजा सरकार, की दिव्य, प्रस्तुति से सत्संग सभा प्रारंभ हुई। अपने प्रभावी उद्बोधन में सत्संग सभा में आपने बताया कि वेदों में जीवन का लक्ष्य आत्मनो मोक्षारथ जगदिध्ताय च, अर्थात् जो आत्मा के हित के लिये काम करें,वहीं सच्चा साधक एवं संत है। आपने बताया कि जन्म जन्मांतर में पतन का कारण अधिकांश व्यक्तियों द्वारा जानते हुए भी गलत कर्म करना है। यही रावणीय प्रवृत्ति यानी मोह का स्वरूप है, इस मोह रूपी पतन से बचने के लिए सत्संग और राम कथा समाज को आवश्यक है। रामचरितमानस के विभिन्न प्रसंगों की चर्चा करते हुए कहा कि स्वयं कल्याण चाहने वाले व्यक्ति को ईश्वर द्वारा सौंपें गए दायित्व को अच्छी तरह से निर्वहन करने के साथ भगवन नाम जप, सुमिरन परहित, सेवा, तथा ईश्वर की शरणागति का मार्ग ही लक्ष्य तक पहुंचा देता है। ओरछा धाम के कृपा पात्र विद्वान वक्ता रामकिंकर भारत भूषण अरूण कुमार जी ने जटायु ,विभीषण के प्रसंग का उदाहरण देते हुए पुष्टि की। इस अवसर पर अंडिया आश्रम के पधारे संत जी ने भी सभी को आशीर्वाद प्रदान किया, पूर्व पुलिस अधिकारी हनुमत सिंह राजपूत ने प्रेरक कविता पाठ प्रस्तुत किया, कार्यक्रम में युवा चिकित्सक न्यूरोसर्जन डॉ देवेंद्र धाकड, डॉ परसोत्तम कौरव ने भी अपने विचार व्यक्त किये।

विषम परिस्थितियों में सत्संग लाभ ईश्वर कृपा से ही संभव: चतुर नारायण जी

रामचरितमानस विद्यापीठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता चतुरनारायण रघुवंशी ने मंच संचालन करते हुए बताया, कि विषम परिस्थितियों में सत्संग का सफल आयोजन प्रभु कृपा से ही संभव है। यशवंत सिंह दादू भैया, द्वारा सभी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में गाडरवारा, नरसिंहपुर, पिपरिया, होशंगाबाद, उदयपुरा, बाड़ी, बरेली, क्षेत्र से बड़ी संख्या में मानस प्रेमी जनो ने भाग लिया। मानस श्रोता वरिष्ठ समाजसेवी हिमाचल पटेल गढ़रवास ने मानस चिंतक, विचारक, आयोजकों का सम्मान पत्र भेंट कर सम्मानित किया , मानस ग्रंथ की मंगल आरती एवं प्रसाद के साथ कार्यक्रम का विश्राम हुआ।

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