पन्ना टाइगर रिजर्व की ‘रानी’ ने ली अंतिम सांस, 21 शावकों को जन्म देकर आबाद किया था जंगल

MP News: ये कहानी जंगल की है। ये कहानी एक रानी की है। ये कहानी टी-2 की है। जी हां, मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व को आबाद करने वाली बाघिन टी-2 नहीं रही। 2008 में पन्ना टाइगर रिजर्व बाघों से पूरी तरह से खाली हो चुका था। यह सुनकर किसी को विश्वास नहीं हो रहा था कि कभी यह जंगल बाघों का ठिकाना हुआ करता था। लेकिन फिर, 2009 में वन्यजीव संरक्षण की दिशा में अहम कदम उठाया गया। 

पन्ना टाइगर रिजर्व को फिर से बाघों से आबाद करने के लिए बाघ पुनर्स्थापना योजना का आगाज हुआ। सबसे पहले, 4 मार्च 2009 को बाघिन टी-1 को बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से लाया गया और 9 मार्च को बाघिन टी-2 को कान्हा टाइगर रिजर्व से पन्ना लाया गया।

टी-2 को जब पन्ना लाया गया तो उसे बाड़े में कुछ दिन के लिए रखा गया, ताकि उसे जंगल में स्वतंत्र रूप से विचरण करने के लिए तैयार किया जा सके। इसके बाद जब वह जंगल में छोड़ दी गई, तो उसने नई जिंदगी की शुरुआत की। यह बाघिन पन्ना के जंगलों की शान बन गई और बाघों के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

ये खबर भी पढ़िए… टाइगर रिजर्व में 6017 हेक्टेयर जंगल उजड़ने की आशंका, 8 साल में 23 लाख पेड़ काटे जाएंगे

21 शावकों की मां, चार पीढ़ियों की नींव

टी-2 का योगदान केवल बाघों की संख्या में वृद्धि तक सीमित नहीं रहा। उसने पेंच टाइगर रिजर्व से लाए गए नर बाघ टी-3 के साथ मिलकर 7 लिटर में 21 शावकों को जन्म दिया। यह पन्ना टाइगर रिजर्व में किसी भी बाघिन द्वारा सबसे अधिक शावकों को जन्म देने का रिकॉर्ड है। इन शावकों ने पन्ना के अलावा सतपुड़ा, संजय, बांधवगढ़ और कई अन्य रिजर्वों में अपना योगदान दिया। टी-2 की चार पीढ़ियों से अब तक 85 संतानें हैं, जो स्वतंत्र रूप से इन जंगलों में विचरण करती हैं।

ये खबर भी पढ़िए… उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व में दिखा यूरेशियन ओटर, सालों से हो रही थी खोज

इस तरह कायम की अपनी हुकुमत 

बाघिन टी-2 की यात्रा पन्ना टाइगर रिजर्व के विभिन्न हिस्सों तक फैली थी। उसने हिनौता, गहरीघाट, मड़ला और अन्य क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। टी-2 के जीवन की सबसे खास बात यह थी कि उसने 19 साल की उम्र तक अपनी जिंदगी जी, जो फ्री-रेंजिंग बाघों के लिए असाधारण जीवन होता है। इसकी उम्र को देखते हुए वन्यजीव प्रेमियों ने इसे मजबूत और साहसी बाघिन माना।

ये खबर भी पढ़िए… पन्ना टाइगर रिजर्व में पर्यटकों ने रोक दिया बाघों का रास्ता, फिर वन विभाग को करना पड़ा ये काम

सम्मान के साथ दी गई अंतिम विदाई 

28 मई को अमरझाला बीट में टी-2 का शव मिला था। प्रारंभिक जांच के बाद यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि उसकी मौत का कारण क्या था। हालांकि कुछ सूत्रों ने बीमारी या आपसी संघर्ष की आशंका जताई, लेकिन प्रबंधन ने इसे प्राकृतिक मौत माना। बाघिन टी-2 को पूरे सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। 

ये खबर भी पढ़िए… पन्ना टाइगर रिजर्व में चार शावकों का जन्म, बाघों का कुनबा बढ़ा, संख्या हुई 90 पार

पन्ना टाइगर रिजर्व का गौरव

पन्ना टाइगर रिजर्व का इतिहास केवल बाघों से ही नहीं जुड़ा है, बल्कि इसने भारतीय वन्यजीव संरक्षण की दिशा में कई महत्वपूर्ण पहल की हैं। 1981 में राष्ट्रीय उद्यान के रूप में स्थापित पन्ना, 1994 में प्रोजेक्ट टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था। 2009 में जब पन्ना बाघों से पूरी तरह से खाली था तो टी-2 जैसी बाघिनों के प्रयासों ने इसे फिर से बाघों का स्वर्ग बना दिया। आज पन्ना टाइगर रिजर्व में 80 से अधिक बाघ हैं।

अगर आपको ये खबर अच्छी लगी हो तो 👉 दूसरे ग्रुप्स, 🤝दोस्तों, परिवारजनों के साथ शेयर करें📢🔃

🤝💬👩‍👦👨‍👩‍👧‍👧

  • Related Posts

    16 साल से नहीं बढ़ी एमपी कर्मचारियों की त्योहार अग्रिम राशि! कर्मचारी संघ ने CM और मुख्य सचिव को लिखा पत्र

    मध्य प्रदेश में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को पत्र लिखा है। सीएम को लिखे गए इस लैटर में कर्मचारियों ने त्योहार अग्रिम राशि को…

    Read more

    MP राज्य पुलिस सेवा में बड़ा बदलाव : 25 अधिकारियों की नई पदस्थापना, देखें लिस्ट

    मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य पुलिस सेवा के 25 अधिकारियों के तबादले किए हैं। इससे संबंधित आदेश रात के 11 बजे जारी किए गए। इस बदलाव में कई वरिष्ठ अधिकारियों…

    Read more

    You cannot copy content of this page