रेरा की स्वायत्तता पर सरकार का दखल, हाईकोर्ट ने किया जवाब तलब

JABALPUR. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में रेरा के अधिकारों को लेकर एक याचिका दायर की गई है। याचिका में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा रेरा के अधिकारों में कटौती पर सवाल उठाए गए हैं। याचिका में कहा गया है कि रेरा को पहले प्रशासकीय स्वायत्तता दी गई थी। लेकिन सरकार ने नए नियम बनाकर उस स्वायत्तता को खत्म कर दिया है।

प्रशासकीय अधिकारों में कटौती को बताया नियम विरुद्ध

इस मामले की सुनवाई हाईकोर्ट में एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिविजनल बेंच ने की। कोर्ट ने नगरीय विकास एवं आवास विभाग के प्रमुख सचिव को नोटिस जारी करते हुए इस पूरे मामले में जवाब मांगा है। याचिका रेरा के सचिव की ओर से दाखिल की गई है, जिसमें कहा गया है कि रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम 2016 के तहत गठित रेरा एक स्वतंत्र वैधानिक संस्था है, जिसे प्रशासकीय स्तर पर स्वायत्तता मिली हुई है।

2017 में बदले गए थे नियम, 2022 में आई अधिसूचना

याचिका में बताया गया कि सरकार ने पहले से तय नियमों को 2017 में बदल दिया था, जिसके तहत अब रेरा को कर्मचारियों की संख्या, नियुक्ति, प्रमोशन , वेतन और अन्य नीतिगत मामलों में राज्य सरकार से मंजूरी लेनी होगी। इस बदलाव को 25 फरवरी 2022 को अधिसूचना के जरिए लागू किया गया था। याचिकाकर्ता का कहना है कि इस कदम से रेरा की स्वतंत्र ही खत्म हो गई है, जो कि अधिनियम के खिलाफ है।

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4 पॉइंट्स में समझें पूरी खबर

हाईकोर्ट में RERA के अधिकारों पर सुनवाई: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें राज्य सरकार द्वारा रेरा (भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण) के अधिकारों में कटौती को चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया है कि सरकार ने रेरा की स्वायत्तता को नए नियमों के जरिए खत्म कर दिया है।

नियमों में बदलाव और 2022 की अधिसूचना: 2017 में सरकार ने रेरा के संचालन से संबंधित नियमों को बदला था, जिसमें रेरा को कर्मचारियों की नियुक्ति, प्रमोशन और वेतन संबंधी निर्णयों में राज्य सरकार से मंजूरी लेना अनिवार्य किया गया। यह बदलाव 25 फरवरी 2022 को अधिसूचना के जरिए लागू किया गया था।

रेरा के चेयरमैन और राज्य सरकार में टकराव: नए नियमों को लेकर रेरा के चेयरमैन और राज्य सरकार के बीच टकराव की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। यह विवाद भोपाल में सुर्खियों में था, और अब यह मामला हाईकोर्ट की सुनवाई में आ गया है।

सुप्रीम कोर्ट में पहले भी जा चुके हैं रेरा चेयरमैन: रेरा के चेयरमैन अजीत कुमार श्रीवास्तव ने मार्च 2022 में राज्य सरकार की कार्यवाही के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री कार्यालय के दबाव में उनके खिलाफ कार्रवाई की गई थी।

 

भोपाल से शुरू हुआ विवाद, HC पहुंचा

बदले गए नियमों को लेकर रेरा चेयरमैन और राज्य सरकार के बीच टकराव की स्थिति पैदा हो गई थी। यह विवाद भोपाल में सुर्खियों में रहा, लेकिन अब हाई कोर्ट में सुनवाई शुरू हो जाने से सरकार को अपने फैसले का कानूनी पक्ष स्पष्ट करना होगा। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता समदर्शी तिवारी और उनकी टीम ने कोर्ट के समक्ष पक्ष रखा। कोर्ट द्वारा जारी नोटिस के बाद अब यह मामला पूरी तरह से कोर्ट की निगरानी में आ गया है।

रेरा के चेयरमैन पहले भी पहुंच चुके हैं सुप्रीम कोर्ट 

आपको बता दें एमपी रियल स्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी के चेयरमैन और पूर्व आईएएस अजीत कुमार श्रीवास्तव इसी साल मार्च महीने में सरकार की कार्यवाही के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जा चुके हैं। जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि सीएम ऑफिस के दबाव में उनके खिलाफ बैठाई की गई। इसके पीछे बिल्डर और व्यापम लाबी होने के आरोप भी लगाए गए थे। mp news

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