
छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र में पक्ष-विपक्ष की ओर से आरोप प्रत्यारोप जारी है। मंगलवार को फिर बोरे बासी कार्यक्रम पर सदन में विवाद छिड़ गया। भाजपा का आरोप है कि कांग्रेस सरकार ने इस आयोजन पर जरूरत से ज्यादा राशि खर्च की। कांग्रेस ने आयोजन के नाम पर भ्रष्टाचार किया।
सदन में भाजपा के तखतपुर विधायक धर्मजीत सिंह ने सवाल उठाया और पूछा कि इस कार्यक्रम में 9 करोड़ रुपए खर्च क्यों किए गए? श्रम मंत्री लखन लाल देवांगन ने सवाल का जवाब दिया। उन्होंने कहा इस एक दिन के कार्यक्रम में पिछली कांग्रेस सरकार ने कुल 8 करोड़ 97 लाख 46 हजार 399 रुपए की राशि खर्च की थी।
बोरे बासी कार्यक्रम कब किया गया था?
श्रम मंत्री लखन लाल देवांगन ने बताया कि बोरे बासी कार्यक्रम एक मई 2023 को अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस के अवसर पर आयोजित किया गया था। आयोजन का उद्देश्य मजदूरों को कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी देना था। इसी के साथ ही उन्हें लाभ पहुंचाना था। इस कार्यक्रम में लगभग 1 लाख 30 हजार मजदूरों को शामिल करने का लक्ष्य था, लेकिन करीब 50 हजार लोग ही शामिल हो पाए।
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5 पॉइंट्स में समझें पूरी खबरविवाद का कारण: छत्तीसगढ़ विधानसभा में बोरे बासी दिवस आयोजन पर भाजपा और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप जारी है। भाजपा ने कांग्रेस पर कार्यक्रम के नाम पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। धर्मजीत सिंह का सवाल: भाजपा विधायक धर्मजीत सिंह ने पूछा कि बोरे बासी कार्यक्रम में 9 करोड़ रुपए क्यों खर्च किए गए। इस पर श्रम मंत्री लखन लाल देवांगन ने 8.97 करोड़ रुपए खर्च होने की जानकारी दी। कार्यक्रम का उद्देश्य: यह कार्यक्रम 1 मई 2023 को अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस पर आयोजित किया गया था। इसका उद्देश्य श्रमिकों को कल्याणकारी योजनाओं के बारे में जागरूक करना था। कितना हुआ था खर्च: खर्च की राशि 8.97 करोड़ रुपए थी, जिसे श्रमिकों को लाने, भोजन व्यवस्था और अन्य कार्यों के लिए विभिन्न विभागों द्वारा वितरित किया गया था। भ्रष्टाचार के आरोप: भाजपा ने वेंडर पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। इसके बाद अब भाजपा सरकार उसी वेंडर को अन्य कार्यक्रमों की जिम्मेदारी दे रही है, जिससे राजनीतिक विवाद बढ़ गया है। |
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आयोजन में कहां से खर्च की राशि?
इस आयोजन में वित्तीय प्रबंधन श्रम विभाग के विभिन्न मंडलों से किया गया था। कार्यक्रम की कुल राशि 8 करोड़ 97 लाख 46 हजार 399 रुपए थी। इस राशि को छत्तीसगढ़ भवन और अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल द्वारा खर्च किया गया था। खर्च की राशि को विभिन्न मदों में बांटा गया था। इन मदों में श्रमिकों को लाने, भोजन व्यवस्था, और अन्य कार्यों के लिए खर्च किए। कार्यक्रम का आयोजन मेसर्स व्यापक इंटरप्राइजेज को टेंडर के माध्यम से सौंपा गया था।
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भाजपा ने लगाए भ्रष्टाचार के आरोप
भाजपा ने इस आयोजन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। साथ ही वेंडर के खिलाफ मोर्चा खोला था। अब जब प्रदेश में भाजपा सरकार है तो इसी वेंडर को सरगुजा के मैनपाट में हुए चिंतन शिविर के आयोजन की जिम्मेदारी सौंपी थी। इससे राजनीतिक बवाल और भी तेज हो गया है। क्योंकि भाजपा सरकार अब वही वेंडर इस्तेमाल कर रही है, जिसे पहले भ्रष्टाचार के आरोपों के तहत घेरा गया था।
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