
BHOPAL. मध्य प्रदेश के सरकारी विभागों में घोटालों की बाढ़ के बीच अब ग्वालियर अंचल से बारदाना घोटाले सामने आया है। उचित मूल्य की दुकानों से 6.49 करोड़ रुपए के बारदाना गायब हो गए हैं। इन बोरों में भरकर सार्वजनिक वितरण प्रणाली का राशन उचित मूल्य की दुकानों तक पहुंचा था।
अब इन बारदानों का पता ही नहीं लग रहा है। उचित मूल्य की दुकान चलाने वाली 76 सहकारी समितियां भी इस वारदाने को लेकर चुप्पी साधे बैठी हैं। जिसके बाद सहकारिता विभाग ने इस गड़बड़झाले की जांच के आदेश जारी कर दिए हैं।
प्रदेश में अब तक ई-टेंडर, निर्माण कार्यों, आंगनबाड़ियों में बर्तन खरीदी, दवा खरीदी, धान खरीदी जैसे घोटाले सामने आ चुके हैं। अब ग्वालियर क्षेत्र से सामने आए बारदाना घोटाले ने मंत्रालय तक हलचल मचा दी है।
सहकारिता विभाग के अधिकारी भी 6.41 करोड़ रुपए की अनाज की खाली बोरियां गायब होने के घोटाले से सन्न हैं। इस घोटाले में ग्वालियर की 76 प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के अधिकारी- कर्मचारियों की संदिग्ध भूमिका को देखते हुए जांच की जा रही है।
छह साल तक गायब करते रहे बारदाना
ग्वालियर जिले में जिला सहकारी केंद्रीय बैंक की 76 कृषि सहकारी समितियां उचित मूल्य की दुकानों का संचालन करती हैं। सहकारिता विभाग द्वारा इन दुकानों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली यानी पीडीएस के तहत राशन उपलब्ध कराता है।
यह अनाज दुकानों तक जिन बोरियों यानी बारदानों में भरकर पहुंचता है उसे समितियों को वापस लौटाना होता है। यह बारदाना नागरिक आपूर्ति निगम अथवा मार्कफेड का होता है। इसके साथ ही साल 2016 से 2022 के बीच समर्थन मूल्य खरीदी के लिए भेजा बारदाना भी वापस नहीं लौटाया गया है।
5 पॉइंट्स में समझें पूरी खबरबारदाना घोटाला: ग्वालियर अंचल में 6.49 करोड़ रुपये के बारदाना गायब होने का घोटाला सामने आया है। यह बारदाना सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत उचित मूल्य की दुकानों से गायब हुआ है। नियमों की अवहेलना: सहकारी समितियों ने 2016 से 2022 के बीच गेहूं, चावल और सरसों के बारदानों को वापस नहीं किया। इस अवधि में गायब बारदाना अब 6.41 करोड़ रुपये का हो गया है। सहकारिता विभाग पर अतिरिक्त भार: सहकारिता विभाग को इस घोटाले की राशि चुकानी होगी, क्योंकि गायब बारदाना का भुगतान करना विभाग के जिम्मे आएगा। जांच और संदेह: सहकारी समितियों और बैंककर्मियों की मिलीभगत का संदेह जताया गया है। पूर्व मंत्री भगवान सिंह यादव ने शिकायत की है और विभाग ने अब गंभीरता से जांच शुरू कर दी है। बाजार में बेचने का आरोप: अंदेशा है कि गायब बारदाना को सहकारी समितियों ने बाजार में बेचकर 6.49 करोड़ रुपये की बंदरबांट की है। कई अधिकारियों को निलंबित कर जांच की जा रही है। |
विभाग को उठाना होगा घोटाले का भार
ग्वालियर अंचल की सरकारी उचित मूल्य की दुकानों पर पीडीएस के तहत साल 2016 से 2023 के बीच गेहूं और चावल पहुंचता रहा लेकिन समितियों द्वारा बारदाने वापस नहीं किए गए। इस अवधि में प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों द्वारा गायब किए गए वारदाना अब 6.41 करोड़ का हो गया है।
वारदाना वापस नहीं लौटाने पर सहकारिता विभाग को यह राशि चुकानी होगी यानी विभाग पर यह अतिरिक्त भार पड़ेगा। अब पड़ताल की जा रही है कि कब -कब किस दुकान पर कितनी बोरियां पहुंची और वहां से कितना वारदाना गायब है।
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संदेह के घेरे में समिति और बैंककर्मी
सहकारी समितियों द्वारा आठ साल तक बारदाने नहीं लौटाए गए लेकिन इस पर जिला सहकारी बैंक ने कोई जवाब तलब नहीं किया। सहकारिता विभाग से भी इस जानकारी को छिपाकर रखा गया। पूर्व मंत्री और क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि भगवान सिंह यादव ने बारदाने की आड़ में करोड़ों के घोटाले की शिकायत की है। यादव ने सहकारिता विभाग को भेजी गई शिकायत में जिला सहकारी बैंक के प्रशासन, सहकारी समिति प्रबंधक और उचित मूल्य की दुकानों के संचालकों की मिलीभगत का अंदेशा जताया है। इस शिकायत के बाद अब विभाग ने भी साढ़े 6 करोड़ के बारदाने पर गंभीरता दिखाई है।
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बाजार में बेंच कर डकार गए 6 करोड़
साल 2016 से 2022 के बीच सहकारी समितियों के माध्यम से गेहूं, धान और सरसों की समर्थन मूल्य पर खरीदी की गई थी। इसके लिए सहकारिता विभाग से वारदाने भेजे गए थे। इनमें से 89 लाख रुपए से अधिक कीमत के बारदाने वापस नहीं लौटाए गए।
साल 2018 से 2024 के बीच नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा उचित मूल्य की दुकानों को जिन बोरियों में गेहूं और चावल उपलब्ध कराया गया वे भी गायब हो गए। इन बारदानों की कीमत 2.89 करोड़ से अधिक आंकी गई है। इसी तरह 72 सहकारी समितियां पीडीएस राशन के 2.62 करोड़ रुपए की बोरियां डकार गए।
अंदेशा है कि समर्थन मूल्य खरीदी और पीडीएस राशन के इस बारदाने को बाजार में बेंचकर 6.49 करोड़ रुपए की बंदरबाट की गई है। इस मामले के गरमाने के बाद सहकारिता विभाग द्वारा कई सहकारी समितियों के अधिकारियों को निलंबित कर जांच कराई जा रही है।
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