उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा, स्वास्थ्य के चलते छोड़ा पद, 2027 तक था कार्यकाल

भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 20 जुलाई 2025 को स्वास्थ्य कारणों से अपना इस्तीफा राष्ट्रपति को भेजा। उन्होंने अपने पत्र में लिखा कि स्वास्थ्य की प्राथमिकता और डॉक्टरी सलाह का पालन करते हुए मैं उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे रहा हूं। उनका कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक था, लेकिन वे अब अपनी सेहत के कारण पद से हट रहे हैं।

धनखड़ ने इस्तीफे में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मंत्रिमंडल का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि मेरे कार्यकाल के दौरान राष्ट्रपति का समर्थन और प्रधानमंत्री का सहयोग अमूल्य रहा। वे 2022 में उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने वाले थे और उन्होंने 2022 में विपक्षी उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को हराया था।

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25 जून को भी अचानक बिगड़ी थी तबीयत

धनखड़ की तबीयत 25 जून 2025 को अचानक खराब हो गई थी, जब वे उत्तराखंड में एक कार्यक्रम के बाद सीने में दर्द महसूस कर रहे थे। उन्हें तत्काल नैनीताल राजभवन ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उनका चेकअप किया। इससे पहले भी, मार्च 2025 में उन्हें दिल्ली के AIIMS अस्पताल में भर्ती किया गया था।

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उपराष्ट्रपति के इस्तीफे के बाद क्या होगा?

अब जब तक नए उपराष्ट्रपति की नियुक्ति नहीं हो जाती, राज्यसभा के कार्यवाहक सभापति का कार्य उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह करेंगे। वे राज्यसभा की कार्यवाही का संचालन करेंगे। उपसभापति का कार्यकाल भी इस महीने खत्म होने वाला है, जिससे यह सवाल उठा है कि आगे की स्थिति क्या होगी।

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जगदीप धनखड़ का राजनीतिक सफर

जगदीप धनखड़ राजस्थान के झुंझुनू से हैं और वे 1989 से 1991 तक लोकसभा सांसद रहे। 2019 में उन्हें बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया। वे एक वकील भी हैं और उनके पास राजनीति और प्रशासन का गहरा अनुभव है। उनका इस्तीफा राजनीति के एक महत्वपूर्ण मोड़ को चिह्नित करता है, क्योंकि वे देश के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति के रूप में एक प्रमुख पद पर थे।

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उपराष्ट्रपति पद का महत्व

भारत में उपराष्ट्रपति न केवल एक संवैधानिक पद पर होते हैं, बल्कि वे राज्यसभा के सभापति भी होते हैं, जिसका मतलब है कि वे संसद की कार्यवाही और निर्णय प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस पद पर नियुक्ति भारत के संविधान में स्पष्ट रूप से दी गई है, और यह भारतीय राजनीति में एक प्रभावशाली पद है।

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